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________________ ११२ प्राकृत साहित्य का इतिहास आभूषण, भवन, वस्त्र, मिष्टान्न, दास, त्योहार, उत्सव, यान, कलह और रोग आदि के प्रकारों का उल्लेख है। जम्बूद्वीप के वर्णनप्रसंग में पद्मवरवेदिका की दहलीज़ (नेम), नींव (प्रतिष्टान ), खंभे, पटिये, साँधे, नली, छाजन आदि का उल्लेख किया है जो स्थापत्यकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इसी प्रसंग में उद्यान वापी, पुष्पकरिणी, तोरण, अष्टमंगल, कदलीघर, प्रसाधनघर, आदर्शघर, लतामंडप, आसन, शालभंजिका,' सिंहासन और सुधर्मा सभा आदि का वर्णन है । पनवणा (प्रज्ञापना) प्रज्ञापना में ३४६ सूत्र हैं जिनमें प्रज्ञापना, स्थान, लेश्या, सम्यक्त्व, समुद्धात आदि ३६ पदों का प्रतिपादन है। ये पद गौतम इन्द्रभूति और महावीर के प्रश्नोत्तरों के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं। जैसे अंगों में भगवतीसूत्र, वैसे ही उपांगों में प्रज्ञापना सबसे बड़ा है। इसके कर्ता वाचकवंशीय पूर्वधारी आर्यश्याम हैं जो सुधर्मा स्वामी की तेइसवीं पीढ़ी में हुए और महावीर-निर्वाणके ३७६ वर्ष बाद मौजूद थे। हरिभद्रसूरि ने इस पर विषम पदों की व्याख्या करते हुए प्रदेशव्याख्या नाम में मथ के प्रकारों का उल्लेख है । मनुस्मृति (११-९४ ) में नौ प्रकार के मद्य बताये गये हैं । देखिये आर० एल० मित्र, इण्डो-आर्यन, जिल्द 1, पृ. ३६६ इत्यादि, जगदीशचन्द्र जैन, लाइफ इन ऐशियेण्ट इण्डिया, पृ० १२४-२६ । सम्मोहविनोदिनी अट्ठकथा (पृ० ३८१) में पाँच प्रकार की सुरा बताई गई है। १. अवदानशतक (६, ५३, पृष्ठ ३०२) में श्रावस्ती में शालभंजिका त्योहार मनाने का वर्णन है। २. मलयगिरि की टोकासहित निर्णयसागर प्रेस, बम्बई १९१४१९१९ में प्रकाशित । पंडित भगवानदास हर्षचन्द्र ने मूल ग्रन्थ और टीका का गुजराती अनुवाद अहमदाबाद से वि० संवत् १९९१ में तीन भागों में प्रकाशित किया है।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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