SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पहिला अध्ययन --(०)पुंडरीक श्री सुधर्मास्वामी जम्बूस्वामी आदि को लक्ष्य करके कहने लगे-. . भगवान् महावीर ने एक बार एक विचित्र दृष्टान्त कहा था; 'तुम उसे सुनो। . एक सरोवर पानी और कीचड़ से भरा हुआ, सफ़ेद कमल से परिपूर्ण, अति सुन्दर और मनोहर था । उसमें अनेक सुन्दर श्रेष्ठ सफेद कमल लगे हुए थे उनके बीचोवीच सरोवर के मध्य में उन सब कमलों से श्राकार, रंग, गंध, रस, और कोमलता में बढ़ा-चढ़ा और बीच में होने से परम दर्शनीय और मनोहर था। [१] ' . पूर्व दिशा से एक पुरुष उस सरोवर को श्राया; उसकी दृष्टि उस सुन्दर बड़े कमल पर गई । उसे देखकर वह कहने लगा-मैं एक जानकार, कुशल, पंडित, विवेकी. बुद्धिमान्, प्रौढ़, मार्ग पर ही चलने वाला और मार्ग तथा उसके ऊंच-नीच को जानने वाला मनुष्य हूं, इसलिये मैं कमलों में श्रेष्ठ इस कमल को ले ही आऊं । ... ऐसा सोचकर वह सरोवर में उतर पड़ा । पर ज्यों ज्यों वह आगे बढ़ा त्यों त्यों पानी और कीचड़ बढ़ते गये और वह किनारे से दूर निकल गया | वह उस कमल के पास न पहुँच सका ।
SR No.010728
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherSthanakvasi Jain Conference
Publication Year
Total Pages159
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy