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________________ चौथा अध्ययन -(०)स्त्री-प्रसंग श्री सुधर्मास्वामी कहने लगे माता-पिता श्रादि कुटुम्बियों तथा काम भोगों का त्याग करके, अात्म-कल्याण के लिये तत्पर होकर निर्जन स्थान में रहने का संकल्प · · · करनेवाले भिक्षु को, भिक्षा तथा उपदेश यादि के समय अनेक श्रछी बुरी स्त्रियों से प्रसंग होता है । उस समय प्रमाद से अथवा अपने में रही हुई वासना के कारण ऐसे प्रसंग बढाने वाले भिनु का जही ही अधःपतन होता है। कारण यह कि अनेक दुश्चरित्र स्त्रियों ऐसे समय जवान सुन्दर . भिनु को लुभाने के अनेक प्रयत्न करती हैं । किसी बहाने से वे . उसके बिलकुल पास आकर बैठती हैं और अपने सुन्दर वस्त्र तथा । अंग-प्रत्यंग की और उसका ध्यान आकर्पित करने का प्रयत्न करती हैं। [३-३] वे सुन्दर वस्त्रालंकार से सुसज्जित होकर, उसके पास श्राकर कहती हैं; हे भिनु ! मैं संसार से विरक्त हो गई हूँ, इस लिये मुझे धर्मोपदेश हो । [२५] उसके बढई (सुतार) रथ के पहिये को ज्यों धीरे २ गोल बनाता है, वैसे ही वे स्त्रियां मालुम न हो सके इस प्रकार लुभाती जाती है । फिर तो वह जाल में फँसी हुई हरिनी की तरह चाहे जितना प्रयत्न करे पर उसमें से छूट नहीं सकता । .
SR No.010728
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherSthanakvasi Jain Conference
Publication Year
Total Pages159
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size6 MB
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