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________________ ( १३० ) '' ५ पूर्वाषाढा, ६ पूर्वा भाद्रपद, ७ मूल, ८ अश्लेषा, ९ हस्त, अने . १० चित्रा, आ दश नक्षत्रोने ज्ञाननी वृद्धि करनारा कह्या छे. प्रश्न १.८ चउविहार प्रत्याख्यानमां अणाहार वस्तु कल्पे ? उत्तर चउविहार प्रत्याख्यानमां लींबडो, गळो, एळीओ, त्रीफळा, कडु करियातुं आदि वस्तु कारणे कल्पे. अणाहार वस्तु पण कारणविना नित्य स्वादने अर्थे अथवा उदर पूर्तिने अर्थे लेवा न कल्पे. प्रश्न १९ सुकायेलु आदु ( सुंठ ) जो खावाना उपयोगमा लई शकाय तो ते प्रमाणे बीजा बटाटा विगेरे कंदमूळ वस्तु पण सुकवीने वापरवामां शी अडचण ? ' . ___ उत्तर-- सुंठ ए एक हलका औषध तरीके उपयोग करवामा आवे छे, अने ते स्वाभावीक बनावेली तयार मळे छे. ते शाकनी माफक वधारे प्रमाणमां लइ शकाती नथी. बटाटा प्रमुख बीजा कंदमूळो आसक्तिथी खावामा आवे छे अने ते खास पोताना माटेज सुकावी राखपा पडे छे. अने वधारे प्रमाणथी लेवाय छे अने वधारे प्रमाणमा वापरवाथी घणाजजीवानी हिंसानो प्रसंग आव. तथी तवी वस्तुओ बनावीने तेनो खावामां उपयोग करवो नही. प्रश्न २० साध्वीजी महाराज श्रावक समुदाय सन्मुख व्याख्यान करी शके के नहि ? ___ उत्तर-- मुनिमहाराज न होय तो साध्वीजीओ -बाइयोनी सामे व्याख्यान करे, पुरुषो तो पड सीने सामळे ते जुदी बात छे. प्रश्न २१ साध्वीजी महाराज पुरुषोना मस्तक पर वासक्षेप करी शके ? उत्तर धर्ममां पुरुषोत्तमता होवाथी सावीजी पुरुषना मस्तक पर वासक्षेप करे ते उचित नथी. -:०८
SR No.010725
Book TitleSadbodh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherPorwal and Company
Publication Year1936
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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