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________________ [ १६४ ) (९२) सूरदत्त (३०)-शेखावाटी-अमरसर के कछवाहा शेखावत राय मनोहर के पुत्र पृथ्वीचन्द्र के पुत्र कृष्णचन्द्र के कहने से इन्होंने सं० १७१२ के फागुन सुदी ५ को 'रसिकहुलास' ग्रन्थ बनाया । आप काशी के निवासी थे। (९३) हरिदास (९२)-इन्होंने अमर बत्तीसी में जोधपुर के राठौड़ अमरसिंह के वीरतापूर्वक सलाबतखां को मारने का वर्णन किया है । रचना घटना के समकालीन रचित (२० १७०१ आसोज सुदी १५ ) होने से इसका ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्त्व है। इसे मैंने अन्य एक राजस्थानी वात के साथ भारतीय विद्या वर्ष २ अंक १ में प्रकाशित कर दिया है। (९४) हरिवल्लभ-(६९) इनके प्रबोधचंद्रोदय नाटक का विवरण इस ग्रन्थ में दिया गया है। मिश्र-बन्धु-विनोद भाग १ पृ० ४१८ में इनकी भगवद्गीता भाषानुवाद को प्रशंसा करते हुए इसका रचनाकाल सं० १७०१ बतलाया है। इसकी प्रति अनूप संस्कृत लाइब्रेरी में भी है । आपका संगीतविषयक संगीतदर्पण नामक ग्रन्थ भी उपलब्ध है । इसके अतिरिक्त किशोरजु के लिये रचित भागवत् भाषानुवाद (पत्र ४८२) नामक वृहत्ग्रन्थ की प्रतिये चुरु के सुराना लाइब्रेरी और भंडारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्सटीट्यूट पूना में उपलब्ध है। । (९५) हरिवंश (३२)-ये छजमल के पुत्र मसनंद के पुत्र थे। इन्होंने रसिकमंजरी भाषा ग्रन्थ बनाया। मिश्र-बन्धु-विनोद के पृ० ४६४ में हरिवंश भट्ट बिल ग्रामी का उल्लेख है वे इन हरिवंश से भिन्न प्रतीत होते हैं। (९६) हृदयराम (२७) कवि ने अपने वंश का परिचय देते हुए लिखा है कि गौड़ ब्राह्मण यजुर्वेद माध्यंदिनी शाखा के छरोंडा निवासी विष्णुदत्त के पुत्र नारायण के पुत्र दामोदर बड़े विद्वान थे। जिन्होंने हरिवंदन, कर्मविपाक (निदान के साथ) और चिकित्सासार ग्रन्थ बनाये। ये बेरम के पुत्र के पास रहे थे एवं वृद्धावस्था होने पर काशीनिवास कर लिया था। इनके पुत्र रामकृष्ण ने जौनपूर में निवास कर बहुत से ब्राह्मणों को विद्यादान दिया । आसफखां के अनुज -एतकादखां ने इन्हे गुणी जान कर सम्मानित किया। रामकृष्ण के तीन पुत्र थे ११) तुलसीराम (२) माधवराम और (३) गंगाराम । इनमें से माधवराम बहुत समय तक शाह सुजा की सेवा में रहे थे। इनके पुत्र हृदयराम हुए जो उद्धव के पुत्र प्रयाग दीक्षित के दोहित्र थे। इन्होंने मं० १७३१ के वैसाख सुदी ५ को भानुदत्त की रसमंजरी के आधार से रसरत्नाकर अन्य बनाया । दामोदर के उपर्युक्त ग्रन्थत्रय अन्वेषणीय हैं।
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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