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________________ में भी मैंने अपने अनुभव का उपयोग किया है। जिन प्रतियों में लेखन संवत् नहीं था उनका कागज एवं लिखावट आदि के आधार से अनुमानित शताब्दी लिखदी गई है जिससे प्रति की प्राचीनता एवं ग्रन्थकार के अनिर्दिष्ट समय का भी कुछ अनुमान लगाया जा सके। विवरण लेने की प्रस्तुत पद्धति में जैन साहित्य महारथी स्व० मोहनलाल देशाई . के जैनगुर्जर कविओ से भी मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रस्तुत ग्रन्थ की कतिपय विशेषताएं-- प्रस्तुत ग्रन्थ की दो विशेषताओं (अज्ञात ग्रन्थों का ही विवरण लेना एवं आवश्यक ज्ञातव्य को ग्रन्थकार के शब्दों में ही अधिक से अधिक रखना) का ऊपर निर्देश किया जा चुका है। इनके अतिरिक्त तीन विशेषतायें और भी हैं जो पूर्व प्रकाशित विवरण ग्रन्थो से तुलना करने पर महत्व की प्रतीत होगी उनका भी संक्षेप मे उल्लेख कर देना आवश्यक समझता हूँ। (१) अन्य सव हिन्दी ग्रन्थों के विवरणग्रन्थों से भिन्न इसमें एक-एक विषय के अधिक से अधिक अन्नात ग्रन्थो का विवरण संग्रहीत किया गया है और उनका विषय वर्गीकरण कर दिया गया है । इसमें मेरा प्रधान लक्ष्य यह रहा है कि अभी तक हमारे हिंदी साहित्य का अनुशीलन विषयवर्गीकरण की दृष्टि से नहीं किया गया। इसके बिना हमारे साहित्य की समृद्धता एवं उपयोगिता का उचित मूल्याङ्कन नहीं हो सकता। श्रीयुत डॉ० रामकुमार वर्मा के हिन्दी साहित्य के आलोचनात्मक इतिहास के प्रारंभ में कतिपय विषयों के हिन्दीग्रन्थो की तालिका दी गई है पर वह बहुत ही सीमित एवं अपूर्ण है । मेरी राय मे जिस प्रकार विविध धाराओ की आलोचना की जा रही है उसी प्रकार प्रत्येक विषय के जितने भी ग्रन्थ, हिन्दी साहित्य मे हैं उन सब का अध्ययन कर किस कवि में क्या विशेषता थी ? किन-किन नवीन वातो को कवि ने अपनी अनुभूति के बलपर नवीन रूप में या नवीन शैली से प्रतिपादित किया, किसने किनकिन ग्रन्थो से प्रेरणा ली, अनुकरण किया, किन-किन विषयो पर वर्तमान जगत आगे बढ़ चुका है या पीछे रह गया है, उस साहित्य का विकास कवसे व कैसे हुआ ? इत्यादि उम विपय सम्बन्धी जितने भी तथ्यों पर विचार किया जा सके करके प्रकाश डाला जाय, इससे महत्वपूर्ण ग्रन्थो का पता चलेगा, वे प्रकाशित किये जाकर हमारी ज्ञानवृद्धि करेंगे। हमारे विद्वानों का ध्यान आकर्पित करने के लिये मैंने छंद', फोप, रत्नपरीक्षा, संगीत, वैद्यक श्रादि विषयो एवं शतक, वावनी, गजल आदि
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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