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________________ [ १५० ] सिहजी के वरसलपुर गढ़ विजय का वर्णन इन्होंने संवत् १७६७-६९ के लगभग सुजानसिंह रासो ( पद्य ६८ ) में किया था। उससे प्रसन्न होकर महाराजा ने कवि को वर्षाशन, सासणदान और शिरोपाव देकर सम्मानित किया था। इन्हीं महाराजा के समय कवि ने उनके पुत्र महाराज कुंवर जोरावरसिहजी के नाम से सं० १७६२ के आश्विन शुक्ल १० को "वैद्यकसार" नामक ग्रन्थ बनाया जिसका विवरण प्रस्तुत ग्रन्थ में दिया गया है। (३५) टीकम (७३)-ये जैन कवि थे। सं० १७०८ जेठ वदि २ रविवार को इन्होंने 'चन्द्रहंस-कथा' बनाई। (३६) तत्वकुमार (५७)-ये खरतरगच्छीय सागरचन्द्रसूरि शाखा के वाचक दर्शनलाभ के शिष्य थे । मिश्रबन्धुविनोद के पृ० ९७५ में अज्ञात कालिक प्रकरण में इनके रचित श्रीपालचरित्र का उल्लेख है । वह कलकत्ते से यति सूर्यमलजी ने प्रकाशित भी कर दिया है। आपके द्वितीय ग्रन्थ 'रत्नपरीक्षा का विवरण इस ग्रन्थ में दिया गया है जिसके अनुसार इसकी रचना सं० १८४५ सावन वदि १० सोमवार को बंगदेशीय राजगंज के चंडालिया आसकरण के लिये हुई थी। (३७) दयालदास (९८)-आप कुबिये गाँव के सिढ़ायच खेतसी के पुत्र थे । राठौड़ों की ख्यात के सम्बन्ध में आपके तीन ग्रन्थ (१) आर्याख्यान कल्पद्रुम (२) देशदर्पण और (३) राठौड़ों की ख्यात बहुत ही महत्व के हैं । बीकानेर राज्य का इतिहास तो आपके इन ग्रन्थो के आधार से ही लिखा गया है । इनके अतिरिक्त जस-रत्नाकर', 'सुजस बावनी', 'अजस इक्कीसी', फुटकर गीत आदि की प्रतियाँ अनूप संस्कृत लाइब्रेरी में विद्यमान हैं । आपने नारसैर के ठाकुर अजीतसिहजी की आज्ञा से परमारों के इतिहास के सम्बन्ध में 'पंवारवंशदर्पण' सं० १९२१ में बनाया। (३८) दरवेश हकीम (४५)-आपके रचित 'प्राणसुख' ग्रन्थ के अतिरिक्त कुछ भी वृत्त ज्ञात नहीं है । इस ग्रन्थ की प्रति सं० १८०६ की लिखी हुई होने से कवि का समय इससे पूर्ववर्ती सिद्ध ही है। (३९) दलपति मिश्र (९५)-'जसवन्त उदोत' मे कवि ने अपना परिचय देते हुए लिखा है कि अकवरपुर में माथुरद्वीप मिश्र जिन्होंने कुछ दिन रामनरेश के यहाँ रहकर उन्हें पढ़ाया था उनके पुत्र शिवराम के पुत्र तुलसी का मैं पुत्र हूं । सं० १७०५ असाढ़ सुदी ३ को जहाँनावाद में इस ग्रन्थ की रचना हुई । जोधपुर के महाराजा जसवन्तसिहजी से इनका अच्छा सम्बन्ध था । इस ग्रन्थ का ऐतिहासिक
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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