SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १४४ ] है या नहीं। कनककुशलजी के शिष्य कुंवर कुशलजी के रचित लखपतजससिन्धु ग्रन्थ का उल्लेख भी कच्छ के इतिहास में पाया जाता है। . मिश्रबन्धु विनोद पृ० ६६७ में इनका एवं इनके रचित लखपतजससिन्धु का उल्लेख है पर इन्हें जोधपुर निवासी बताना सही नहीं है। विनोद में कुंवर कुशल को कनक कुशल का भाई. बतलाया गया है पर ये गुरु-शिष्य थे, यह हमें प्राप्त प्रति की प्रशस्ति से स्पष्ट है। (११) कृष्णदत्त विप्र (११९)-इन्होंने 'ज्योतिषसार भाषा' या कविविनोद ग्रन्थ बनाया । विशेष वृत्त अज्ञात है। (१२) कृष्णदास (५६)-इन्होंने बीकानेर निवासी जैन जोहरी बोथरा कृष्णचन्द्र जो कि दिल्ली में रहने लगे थे, के लिये रत्न परीक्षा ग्रन्थ सं० १९०४ के कार्तिक कृष्णा २ को बनाया। (१३) कृष्णानन्द (४३)-गन्धककल्प आँवलासार ग्रन्थ के अतिरिक विशेष वृत्त ज्ञात नहीं है । मिश्रबन्धु विनोद के पृ० १०२८ मे कृष्णानन्द व्यास का उल्लेख है वे इनसे भिन्न ही सम्भव हैं। (१४) केशरी कवि (३३)-इन्होंने सुजान के लिये रसिकविलास प्रन्थ बनाया। (१५) खेतल (१००,१०३)-आप खरतरगच्छीय जिनराज सूरिजी के शिष्य दयावल्लभ के शिष्य थे। दीक्षानंदी सूची के अनुसार आपकी दीक्षा सं० १७४१ के फागुन वदी ७ रविवार को जिनचन्द्र सूरिजी के पास हुई थी। आपने अपना नाम पद्यों में खेतसी, खेता और कहीं खेतल दिया है । नन्दी सूचि के अनुसार इनका मूल नाप खेतसी और दीक्षित अवस्था का नाम दयासुन्दर था। आपने चित्तोड़गजल सं० १७४८ सावन वदी २ और उदयपुर गजल सं० १७५७ मिगसर वदी में बनायी थी। इनके अतिरिक्त आपकी रचित बावनी हमारे संग्रह में है जिसकी रचना सं० ७४३ मिगसर सुदी १५ शुक्रवार दहरवास गाँव में हुई थी। उसका अन्त-पद इस प्रकार है: संवत् सत्तर त्याल, मास सुदी पक्ष मगस्सिर । तिथि पूनम शुक्रवार, थयी वावनी सुथिर । वारखरी रो बन्ध, कवित्त चौसठ कथन गति । दहरवास चौमास समय, तिणि भया सुखी अति ।
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy