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________________ कवियों को प्रकाश में लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। सं० १९६८ में द्वितीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कार्य-विवरण (दूसरे भाग ) में आपका 'राजपूताने में हिन्दी पुस्तकों की खोज' शीर्षक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें ३३८ हिन्दी ग्रन्थो की अक्षरादि क्रम-सूची दी गई है। उसमें आपने यह भी लिखा है-सूचियो की कई जिल्दें बन गई है। श्री मोतीलालजी मेनारिया ने भी आपके ८०० कवियो की सूची मिश्रबन्धुओं को भेजने एवं उनमे २०० नवीन कवियों के निर्देश होने का उल्लेख किया है अत: उन जिल्दो को उनके वंशजो से प्राप्त कर प्रकाशित करना परमावश्यक है । उससे बहुतसी नवीन जानकारी प्रकाश मे आने की संभावना है । राजस्थान ने अपनी स्वतंत्र भाषा होने पर भी एवं उसमे विपुल साहित्य की रचना करने पर भी हिन्दी भाषा की जो महान सेवा की है वह विशेष रूप से उल्लेखनीय है। स्व० सूर्यनारायणजी पारीक ने १. राजस्थान की हिन्दी सेवा, २. राजस्थान के राजाओ की हिन्दी सेवा, ३. राजस्थान की हिन्दी कवि-कवयित्रीयें आदि विस्तृत लेखो द्वारा इस पर प्रकाश डाला था' पर राजस्थान में हिन्दी ग्रन्थो की हजारो प्रतिये हैं अतः ऐसे प्रयत्न निरन्तर होते रहने वांछनीय हैं । छुटकर प्रयत्नो से विशेष सफलता नहीं मिल सकती । यहां तो वर्षों तक निरंतर खोज चालू रखने का प्रयत्न करना होगा। नागरी प्रचारिणी सभा की भांति दो तीन वेतनभोगी व्यक्ति रखकर राजकीय प्रसिद्ध संग्रहालयों, पुराने खानदानो, विद्याप्रेमी घरानो, जैन उपासको, साधु सन्तो के मठो मे और गांव-गांव मे, घर-घर मे घूम फिर कर तलाश करनी होगी। क्योकि बहुत से ग्रन्थ ऐसे हैं जिनकी अन्य प्रतिलिपिये नही हो पायी उनकी प्राप्ति कवि के आश्रयदाता या वंशजों के पास ही हो सकती है । कई व्यक्ति आज बहुत हीन दशा मे है पर उनके पूर्वज बड़े विद्वान् व विद्याप्रेमी हो गये। उनके पास पूर्वजो के संग्रहीत अनेको दुर्लभग्रन्थ प्राप्त हो सकेंगे। बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, अलवर, बूंदी आदि अनेको राजकीय संग्रहालयों के अतिरिक्त दो महत्वपूर्ण संग्रह भी राजस्थान मे है वे है-विद्याविभाग कांकरोली और पुरोहित हरीनारायणजी जयपुर के संग्रहालय । इन सव संग्रहालयो की खोज रिपोर्ट अति शीघ्र प्रकाशित होनी चाहिये। प्रस्तुत ग्रंथ का संकलन उदयपुर विद्यापीठ ने राजस्थान मे हिन्दी ग्रन्थो की शोध का परमावश्यक कार्य १-राजस्थान के आधुनिक हिन्दी विद्वानो के सम्बन्ध में राजस्थान के हिन्दी साहित्यकार' नामक ग्रन्थ देखना चाहिये जो कि हिन्दी परिषद्, जयपुर से प्रकाशित है।
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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