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________________ [ ९६ ] जो असवन्त उदोत कह, सुनै श्रवन चितु लाइ । तिहि मानौं हरिवंश की, पोथी सुनी बनाइ ॥१८॥ कछुक वंस वरण्यो प्रथ (म) विन्नु पुरानहि मांनि । करनि साठि नरिन्द की, वरनी लोक कथांनि ।।१९।। लोक वेद बुधि जन सकल, कहत एकही रीति । यह विचारि या अन्य महँ, मानहु परम प्रतीति ॥२०॥ इति श्री तुलसीरांम सुत दलपति कवि विरचते जसवन्त उदोते वंसावली प्रकरनो संपूर्ण । शुभं भवतु । श्री। लेखनकाल-सं० १७४१ रा मागिसिर व० १४ वार भोम दिने लिखंत मेड़ता नगर मध्ये लिखतं चूरा महीधर पोथी ब्रा० चूरा महीधर छै शुंभ भवतु । प्रति-पत्र ४० । पक्ति २७ से २९ । अक्षर २४ । साईज ७४९।। विशेष-ग्रन्थ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्त्व का है। (अनूप संस्कृत लायब्रेरी) (५) दिल्ली-राज वंशावलि । पद्य ११९ । कल्ह । (जहांगीर के राज्य में ) भावि इकवार होइ प्रसूत नारी, कृपा राखी ईस । पाप को नाम न जाणीयइ, तह पुन्य विश्वे वीस । राजान ब्राह्मण अवर कोइ, करइ नाही रीस । राजान हूवइ सूरवंसी, पृथ्वी मांहि पृथीस । तोरे गगण अखरत चंद सरस संघच्छर जायो । आदित पार कहैं कलह कातिक चदि प्रतिपदा । सधर ध्रुव जोग जाणि धुअ पंजाब को मुगर । नगर लाहोर कोट थिर नृप जाहगीर साह अकबर सुतन । साह हमाऊ वंस वर जहांगीर महमद को सुजस आणंद कर ।। १९ ॥ इति वंसावली संपूर्ण। लेखन-काल-पं० दानचंद्र लिखितं श्री नवलखी ग्रामे सं० १७३९ व० कार्तिक वदि ३ दिने। (बृहद् ज्ञान भण्डार, प्रतिलिपि-अभय जैन ग्रन्थालय )
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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