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________________ सकता है, मानसिक प्रगतियोफा धारीरपर और शारीरिक प्रतियोगा गगपर क्या प्रभाव पड़ता है आदि पातों का इममे यदा ही एसपाही गर्णन है। प्रलेस सुखाभिलापी त्रीपुरुषको यह पुस्तक पढना चाहिए । मल्य ॥ स्वामी और स्त्री-इस पुस्तकमे स्वामी और खमा गैगा व्यवहार होना चाहिए इस विषयको पढ़ी सरलतासे लिया है । अपर और साग शिक्षित स्वामी कैसा व्यवहार करके उसे मनोनुकूल कर ममता है और शिक्षित मी अपढ पति पाकर उसे कैसे मनोनुकूल कर लेनी हेगन विषयकी अन्टी शिक्षा दी गई है। और भी गृहस्थी सबन्धी उपदेशोंने यह पुस्तक भरी है । मुन दश आना। गृहिणीभूपण-इस पुस्तकमें नीचे लिरो अध्याय ६- १ पति के प्रति पत्नीका कर्तव्य, २ पति पत्नीका प्रेम, ३ चरित्र, ४ सतील एक अनमोल रत्न है, ५ पतिसे बातचीत करना, ६ लनाशीलता, ७ गुप्तभेद भोर पातोंकी चपलता, ८ विनय और शिष्टाचार, ९त्रियोका हृदय, १० पोसियोंमे व्यपहार, ११ गृहसुखके शत्रु, १२ आमदनी और खर्च, १३ वधूका कर्तव्य, १४ लड़कियोंके प्रति कर्तव्य, १५ गंभीरता, १६ सद्भाव, १७ सन्तोष, १८ कैसी खोशिक्षाकी जरूरत है, १९ फुरसतके काम, २० शरीररक्षा, २१ सन्तान पालन, २३ गृह कर्म, २३ गर्भवतीका कर्तव्य और नवजात शिशुपालन, २४ विविध उपदेश, प्रत्येक पढ़ी लिखी स्त्री इस पुस्तकसे लाभ उठा सकती है । भाषा भी इसकी सबके समझने योग्य सरल है । मूल्य माठ आने । __ कहानियोंकी पुस्तक लेखक लाला मुन्शीलालजी एम. ए. गवर्नमेंट पेन्शनर लाहौर। इसमें छोटी छोटी ७५ कहानियोंका संग्रह है । यालकों और विद्यार्थियोंके बड़े कामकी है। इसकी प्रत्येक कहानी मनोरंजक और शिक्षाप्रद है सुप्रसिद्ध निर्णयसागर प्रेसमें छपी है। मूल्य पाच आना। समाज-वंग साहित्यसम्राट् फविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी पंगला पुस्तकका हिन्दी अनुवाद । इस पुस्तककी प्रशसा करना व्यर्थ है । सामाजिक विषयोंपर पाण्डित्यपूर्ण विचार करनेवाली यह सबसे पहली पुस्तक है । पुस्तकमेंके समुद्रयात्रा, अयोग्यभाक्ति, आचारका अत्याचार आदि दो तीन लेस पहले जैनहितैपीम प्रकाशित हो चुके हैं । जिन्होंने उन्हें पढ़ा होगा वे इस ग्रन्थका महत्व समझ सकते हैं। मूल्य आठ आना।
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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