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________________ २६० साइरिल वार्ट नामक एक मनस्तत्वज्ञ विद्वानने इस यन्त्रका आविष्कार किया है। किसी गवाहकी जवानबन्दी लेते समय मजिस्ट्रेटको या वकीलको पूछना पडता है कि तुमने अमुक घटना देखी है या नहीं? परन्तु अब यह पूछनेकी जरूरत नहीं रही। कल्पना कीजिए कि किसी आद- . मीका खून होगया और उसकी लाश रास्तेमें पड़ी हुई मिली। इस मुकद्दमेंमें गवाह देनेके लिए एक आदमी लाया गया। जिस समय रास्तेमे लाश डाली गई थी उस समय वह आदमी वहाँ उपस्थित था । अव उससे यह दरयाफ्त करना है कि उसने यह घटना अपनी ऑखों देखी है। इस समयके नियमानुसार वकील साहब पूछते है कि"जिस समय रास्तेपर लाश डाली गई, उस समय तुम वहॉ उपस्थित थे?" परन्तु अब इसके बदले गवाहके सामने यंत्र रख दिया जायगा और सिर्फ 'रास्ता' इतना शब्द कहकर यत्रमें चाबी भर दी जायगी। गवाहने यदि सचमुच ही घटना देखी होगी तो उसी समय उसके मनमे लाशकी बात आ जायगी और यदि वह सत्यवादी होगा तो तत्काल ही कह देगा 'लाश' पर यदि वह इस बातको छुपाना चाहेगा तो 'लाश' नहीं कहेगा। इसका फल यह होगा कि वह विचार करेगा, अर्थात् उसके मनमे एक भावनाका उदय होगा। यह भावना उसके मस्तकका कार्य है; वह जब इस चिन्तामे पड़ेगा तब उसके मुख नेत्र आदिमे कुछ भावान्तर होगा। वह वातको छुपानेकी जितनी ही कोशिश करेगा, उतना ही उसके मुखके भावका परिवर्तन होगा और तव उसके सामने रक्खा हुआ यन्त्र उसके प्रत्येक परिवर्तनको अङ्कित कर लेगा । उसके हृदयमें जो आन्दोलन होगाउस यत्रसे जरा भी छुपा न रह सकेगा। अन्तमे या तो वह सच
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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