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________________ MIN जीव दुःख न पावें। M जैनियोंका यह महत् धर्म है, इसके साथ यह भी देखना चाहिये कि जीवात्मा जो उनके और अपने शरीरमें है वहV भी कष्ट न पावे, इस लिये, आपका प्रथम कर्त्तव्य है कि नारोग होते ही आराम करनेका यत्न करें, जिससे आत्माको कष्ट न हो । उपाय भी बहुतही सहज है। रोगके होते ही डॉक्टर वर्मनकी ४० प्रकारकी पेटेंट दवाओंका पूरा सूचीपत्र मगाकर पढिये, यह सूचीपत्र विनामूल्य और बिना) डॉकखर्चके घर बैठे पावेंगे, केवल एक पोष्ट कार्डपर अपना नाम और ठिकाना लिख भेजनेका कष्ट उठाना पड़ेगा। डाक्टर बर्मनकी प्रसिद्ध दवायें ३० वर्षसे सारे हिन्दुस्थानमें प्रचलित हैं, कठिन रोगोंकी सहज दवायें बनाई गई है । कम खर्च तुरन्त आराम करती हैं | आजही कार्ड लिखिये । N डाक्टर एस० के० वर्मन । ' . Art ५ ताराचन्द दत्त स्ट्रीट
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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