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________________ १८९ वेगसे वह रहा है। भगवानसे प्रार्थना है कि यह वेग बहुत समय तक जारी रहे और इससे सारा जैनसमाज हराभरा सुस्निग्ध सफल होता रहे। २ इन्दौरकी उल्लेख योग्य घटनायें। इन्दौरके इस उत्सवमें कुछ' घटनायें ऐसी हुई हैं जिनका उल्लेख करना हम बहुत ही आवश्यक समझते हैं और उनसे हम बहुत कुछ लाभ उठानेकी आशा रखते है । ता० १ अप्रैलकी रातको श्रीयुक्त शीतलप्रसादजी ब्रह्मचारीका एक प्रभावशाली व्याख्यान हुआ । उसमें आपने जैनधर्म और जैनसमाजकी उन्नतिके उपाय बतलाते हुए कहा कि “ वर्तमान जैनसमाज अनेक जातियोंसे बना हुआ है और उनमें प्राय. ऐसी ही जातियाँ अधिक है जिनकी जनसंख्या बहुत ही थोडी है । इन सब जातियोंमें परस्पर विवाहसम्बन्ध नहीं होता है और इससे बडी भारी हानि यह हो रही है कि हमारी संख्या दिन पर दिन घटती जा रही है। प्राचीन समयमें इस प्रकारका बन्धन नहीं था। हमारे ग्रन्थोंमें अनेक जातियोंके परस्पर विवाह होनेके बहुतसे प्रमाण मिलते है। इस लिए यदि अब भी हमारी जातियों में परस्पर विवाह होने लगे तो कुछ हानि नहीं है।" यह प्रस्ताव ब्रह्मचारीजीने बहुत ही नम्रतासे पेश किया था और प्रारभमें यह भी कह दिया था कि प्रत्येक मनुष्यको अपने विचार प्रगट करनेका अधिकार है, इस लिए मैं अपने विचार आप लोगों पर प्रकट कर देना चाहता हूँ। मैं यह नहीं कहता कि इसे मान ही लेवें,मानने न माननेके लिए आप स्वतत्र है, पर इस प्रस्ताव पर आप विचार अवश्य ही करें। इसके बाद पं० दरयावसिंहजी सोधियाने उक्त प्रस्तावका शान्तिके साथ विरोध किया और बतलाया कि इसकी आवश्यकता नहीं है । इस तरह यह विषय यहाँही समाप्त हो चुका था। परन्तु कुछ महाशय इससे बहुत ही क्षुब्ध हुए और सभाविसर्जित हो जानेपर सभास्थानमें ही उन्होंने गालागालि शुरू करके एक तरहका हुल्लड मचा दिया। इसके बाद दूसरे दिन एक महात्माने सभामें खडे होकर ब्रह्मचारीजीके कथनका लोगोंको मनमाना ऊँटपटाँग अर्थ समझाकर उनकी शानके खिलाफ बहुतसी वातें कहीं। चाहिए यह था कि इसपर ब्रह्मचारीजीको भी वोलनेका मौका दिया जाता, परन्तु वे कहते कहते रोक दिये गये और इस तरह न केवल उनके विचारोंके गले पर छुरी चलाई गई, किन्तु उनका अपमान भी किया गया। इसी तरहकी एक घटना और भी ता०३ की रातको हुई। कुँवर दि.
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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