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________________ १७१ चार लाखके दानसे कौनसी संस्था खुलनी चाहिए। इन्दौरके दानवीर सेठ हुकुमचन्दजीने अभी हाल जो चार लाख रुपया दान करनेकी घोषणा की है, उससे कौनसी और कैसी संस्था खोली जानी चाहिए इस विषयमें सर्व साधारणसे सम्मतियाँ मॉगी गई है और उन सब सम्मतियोंपर विचार करनेका विश्वास दिलाया गया है। मेरी समझमें सेठजीकी यह उदारता उस उदारतासे भी बहुत बड़ी है जो उन्होंने चार लाख रुपयाका महान् दान करनेमें प्रकट की। है। जैन समाजके लिए इससे अधिक सौभाग्यका विषय और क्या हो सकता है कि उसके अगुए और धनीमानी लोग उसकी सम्मतिसे उसका हित करनेके लिए तत्पर हो रहे है। ___ मैं समाजका एक अल्पज्ञ सेवक हूँ, अतएव मै भी इस विषयमे. अपने विचार प्रगट कर देना उचित समझता हूँ। आशा है कि उदारहृदय सेठजी इनपर एक दृष्टि डालजानेकी कृपा करेगे। जहॉतक मैं जानता हूँ सेठजी अपने इस द्रव्यसे इन्दौरमें ही संस्था खोलना चाहते हैं। इन्दौरसे बाहर किसी दूसरे स्थानमें संस्था खोल-- नेकी उनकी इच्छा नहीं है । अतएव इन्दौरकी परिस्थितियों सुविधाओं और आवश्यकताओंका खयाल रखके मै इस विषयपर विचार करूँगा। यहाँ मैं यह कह देनेमें कुछ हानि नहीं समझता कि बहुतसे सज्जन जो इस रकमसे एक 'जैनकालेज' खोलनेकी सम्मति दे रहे हैं वह ठीक. नहीं है। कारण एक तो, एक कालेजके लिए यह रकम बहुत ही कम है दूसरे इन्दौरमें दो कालेज हैं उनमें ही विद्यार्थियोंकी संख्या यथेष्टसे बहुत कम है। तब इस तीसरे कालेजको यथेष्ट विद्यार्थी मिलना कठिन. है। यदि वाहरके जैन विद्यार्थियोंके आकर रहनेकी आशा की जाय,
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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