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________________ 4 . प्रसिद्ध हाजमेकी; अक्सीर दवा, नमक - ___ सुलेमानी फायदो ने करें तो दाम वापिस।' - यह नमक 'सुलेमानी पेटके सर्व रोगोंको नाश करके पाचनशक्तिको वाता. है जिससे भूख अच्छी तरह लगती है, भोजन पचता है और दस्त साफ होता है। आरोग्यतामें इसके सेवनसे मनुष्य बहुतसे रोगोंसे बचा रहता है । इसके सेवनसे हैंजा, प्रमेह,, अपच, पेटको, दर्द, वायुशूल, संग्रहणी, अतिसार, बवासीर, कब्ज, खडी, डकार, गतीकी जलन, बहुमूत्र, गठिया, खाज खुजली आदि रोगोंमें तुरन्त लाभ होता है। विच्छ भिड, वरोंके कारनेकी जगह इसके मलनेसे लाभ होता है। स्त्रियोंकी" मासिक खरावीकी यह दुरुस्ती. करता है । बच्चोंके अपच, दस्त' होना, दूध डालना आदि सब रोगोंको दूर करता है । इससे उदरी, जलोदर, कोटवृद्धि, यकृत, लोहा, मन्दाग्नि, अम्लशूल और पित्तप्रकृति आदि सब, रोग भी आराम होते है। अतः यह कई रोगोंकी एक दवा सब गृहस्थोंको अवश्य, पास रखनी चाहिये । व्यवस्थापत्र साथ है। कीमत फी शीशी बड़ी ।) आठ आना। तीन शी०१12), छह शी० २॥) एक दर्जन५) डाकखर्च अलग। " : '... ....... द्रदमन-दादको अक्सीर दुवा। फी डिब्बी ।) आना ! .. दन्तकुसुमाकर दांतोंकी रामवाण दवा ! फी-डिब्बी!) आना। . नोट हमारे यहां सब रोगोंकी तत्काल ,गुण दिखानेवाली दवाए तैयार रहती हैं । विशेष हाल जाननेको बडी सूची मगा देखो। , , ... 'मिलनेका पताः-..... 'चंद्रसेन जैनवैद्य इटावा । - - 1 .
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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