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________________ प्रतिक्रमण पर जन चिन्तन १६३ उपदेश दे रहे हो ? जरा अपने भीतर तो झाँक कर देखो कि वहाँ सुधार की कोई गुञ्जाइश है या नहीं ? अगर है तो फिर तुम्हारे सामने काफी जरूरी काम मौजूद है। सबसे पहले इमी पर ध्यान दो। सबसे पहले अपना सुधार कसे । और जब तक तुम खुद मैले हो, तब तक तुम्हें दूसरों को उपदेश देने का क्या अधिकार है ! पर छिद्रान्वेषण की अपेक्षा यात्म-निरीक्षण मानवत्ता है किसी के अपराध को भूलना और क्षमरे कर देनर मानवता है। बदला लेना नहीं, देना मानवता है। -महात्मा गांधी प्रत्येक व्यक्ति को बुराई से संघर्ष करने के लिए अपनी शक्ति पर विश्वास होना चाहिए। मुझमे और कितने ही दुगुण हो सकते हैं, परन्तु एक दुगुण नही है कि 'छिप कर परदे के पीछे कुछ करना। हमे अपने प्रारको लोगों में वैसा ही जाहिर करना चाहिए, जैसे कि हम वास्तव में हो । कोरी नुमाइश करना ठीक नही है । -जवाहरलाल नेहरू अपनी मर्यादा को ठीक कायम, रखने से ही हम अपने अन्दर के भगवान का साक्षात्कार कर सकते हैं। -पट्टाभिसीतारमैय्या हमारे लिए धर्म हमेशा से ही कहर मतों का पिटारा नहीं, बल्कि मात्मा की खोज का शास्त्र रहा है । লীলা
SR No.010715
Book TitleAavashyak Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1950
Total Pages219
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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