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________________ 37 पोग्गलकामफल [(पोग्गल)-(कम्म)-(फल) 2/1] अणत (प्रगत) 211 वाकी के लिए देम 35 38 वि (प्र) =ही पोग्गलवव्व [(पोग्गल)-(दन्व)1/1] पि (अ)= भो तहा (प्र)= उसी प्रकार सगेहि(सग) वि भावेहि(भाव) 3/2 39 जीव (जीव) मूलशन्द परिणामहेदु [(परिणाम)-(हेदु) 1/1] कम्मत (कम्मत्त) 2/1 पोग्गला (पोग्गल)1/2 परिणमति (परिणम) व 3/2 मक पोग्गलफम्मििमत्त [(पोग्गल)-(कम्म)(णिमित्त) 1/1] तहेव (म)== उसी प्रकार जीवो (जीव) 1/1 वि (प्र)=भी परिणदि (परिणम) व 3/1 प्रक 40 गवि (प्र) = कभी नही कुवदि (कुन्च) व 3/1 मक कम्मगुणे [ (कम्म)-(गुग्ग) 2/2] जीवो (जीव) 1/1 कम्म (कम्म) 1/I तहेव (अ)= उमी प्रकार जीवगुणे [(जीव)-(गुण) 2/2] अण्णोण्णणिमित्तण [(अण्णोण्ण) वि-(रिणमित्त)3/1] दु (अ)= परन्तु परिणाम (परिणाम) 2/1 जाण (जाण) विधि 2/1 सक दोण्ह (दो)612 पि (अ)=ही एदेण (एद) 3/1 सवि कारणेण (कारण) 3/1 दु (म)=ही कत्ता (कत्तु) 1/1 प्रादा (पाद) 1/1 सगेण (सग) 3/1 वि भावेण (भाव) 3/1 पोग्गलकम्मकदाणं [(पोग्गल)-(कम्म)(कद) भूक 612 अनि] ण (म)=नहीं दु (अ)-परन्तु कत्ता (कत्तु) 1/1 सव्वभावाण [(सन्व) वि-(भाव) 612] 42 णिच्छयणयस्स (पिच्छयरणय) 6/1 एन (अ)= इस प्रकार प्रादा (पाद) 1/1 अप्पाणमेव [(अप्पारण) + (एव)] अप्पारण (अप्पारण) 1 पद्य में किसी भी कारक के लिए मूल सज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है । (पिणल प्राकृत भाषामों का व्याकरण पृष्ठ, 517) चयनिका [ 65
SR No.010711
Book TitleSamaysara Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages145
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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