SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अण्णारणी (अण्णाणि) 1/1 वि ताव (अ)= तब तक दु (अ) ही सो (त) 1/1 सवि कोहादिसु (कोहादि) 712 अनि वट्टदे (वट्ट) व 3/1 सक जीवो (जीव) 1/1 30 कोहादिसु (कोहादि) 7/2 अनि. वह तस्स (वट्ट) व 6/1 तस्स (त) 6/1 स कम्मस्म (कम्म) 6/1 सचत्रो (सचम) 1/1 होदि (हो) व 3/1 अक जीवस्सेवं [(जीवस्स) + (एव) ] जीवस्स (जीव) 6/1 एवं (अ)-इस प्रकार बधो (बध) 1/1 भरिएको (भण) भूक 1/1 खलु (अ)=पादपूरक सम्वदरिसीहि (मन्वदरिसि) 3/2 31 जइया (अ)=निस समय इमेण (इम) 3/1 स जीवेण (जीव) 3/1 अप्पणो (अप्प) 6/1 पासवाण (प्रासव) 6/2 य तहेव (अ)=और गाद (रणा) भूक 1/! होदि (हो) व 3/1 अक विसेसतर [ (विसेस) + (अतर)] [ (विसेम)-(अतर) 1/1] तु (अ)=पादपूरक तइया (अ)= उस समय ण (अ)-नही वघो (वध) 1/1 स (त) 6/1 स 32 रणादूरण (णा) सकृ पासवाण (प्रासव) 6/2 असुचित्त (असुचिता) 2/1 च (अ)=और विवरीदभाव [ (विवरीद)(भाव) 2/1] दुक्खस्स (दुक्ख) 6/1 कारण (कारण) 1/1 त्ति (अ)=कही गई बात य (अ)-तथा तदो (अ)-उससे पियत्ति (णियत्ति) 2/1 कुणदि (कुण) व 3/1 सक जीवो (जीव) 1/1 1 कभी कभी द्वितीय विभक्ति के स्थान पर सप्तमी का प्रयोग पाया जाता है (हेम प्राकृत-व्याकरण, 3-135)। 2 कभी कभी द्वितीय विभक्ति के स्थान पर सप्तमी का प्रयोग पाया जाता है (हेम प्राकृत-व्याकरण, 3-135) । चयनिका [ 67
SR No.010711
Book TitleSamaysara Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages145
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy