SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७० चाहिए। यदि इच्छा बेलगाम होगई और उस पर काबू न किया गया तो सभी व्रत खतरे में पड़ जाएंगे। . आनन्द श्रावक ने अपनी स्थिति के अनुसार क्षेत्र की सीमा बांध ली और अपरिमित इच्छाओं को परिमित कर लिया। इसके लिए उसने ऊर्ध्व दिशा, अधोदिशा और तिों दिशाओं में गमनागमन की सीमा-रेखा भी निश्चित कर ली। इस प्रकार दिशाओं सम्बन्धी नियम दिग्वत कहलाता है। उसका स्वरूप इस प्रकार है दिग्वत-विभिन्न दिशाओं में गमनागमन करने की मर्यादा को दिग्वत कहते हैं। एक केन्द्र से किसी दिशा की ओर जाने की दूरी इस व्रत के अनुसार निश्चित की जाती हैं । साधक ने अपने स्थायी निवास के लिए जो केन्द्र नियत किया है, उससे ऊपर की ओर जाना ऊर्ध्व दिशा में गमन करना कहलाता हैं । वायुयान के सहारे या विद्या अथवा ऋद्धि के बल से ऊपर जाना होता हैं । कूप,खदान, समुद्रतल आदि अधोगमन के मार्ग हैं । पूर्व, पश्चिम आदि दिशाओं और विदिशाओं में जाना तिर्यक् दिशा में गमन करना कहलाता है। इस प्रकार के व्रत को ग्रहण करने का उद्देश्य अपनी इच्छा या संग्रह वृत्ति को सीमित करना है। सभी स्थानों में भूमि, धन, धान्य आदि एक-सा ही है, ऐसा सोच लेने से मनुष्य नवीन-नवीन स्थानों या देशों में भटकना बन्द कर देगा और मर्यादित क्षेत्र में रह कर अपने सादे और संयम जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करके निराकुलता पूर्वक धर्म का आचरण करके आनन्द में रहेगा। उसके जीवन में आकुलता-व्याकुलता और चिन्ता का बाहुल्य नहीं होगा। दिग्वत में जिस दिशा में जाने की जो मर्यादा की है, उसमें इधर से उधर मिला कर कमी-बेशी नही करना चाहिए। ऐसा करने से प्रत का लक्ष्य सुरक्षित नहीं रहता । उदाहरणार्थ-किसी श्रावक ने सौ-सौ मील प्रत्येक दिशा में जाने का नियम लिया। उसे कामोत्तर मे लोभ के वश होकर सवा सौ. मौल तक जाने की इच्छा हुई। ऐसी स्थिति में किसी दूसरी दिशा में पच्चीस मील
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy