SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 410
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६६१ नहीं है कमजोर व्यक्ति भी यंत्रों की सहायता से हजारों लाखों मनुष्यों को मौत के घाट उतार सकता है । शस्त्र प्रयोग तो ग्राखिरी उपाय है । जब अन्य साधन न रह जाय तभी शस्त्र का उपयोग किया जा सकता है। शास्त्र विद्या यह विचारधारा देती है कि शस्त्र विद्या का प्रयोग विवेक को तिलांजलि देकर नहीं किया जाना चाहिए । ग्रन्याय, अत्याचार और दूसरों को गुलाम बनाने के लिए शास्त्र का प्रयोग करना मानवता की हत्या करना है । आज जो देश अपनी सीमा विस्तार: करने के लिए सेना और शस्त्र का प्रयोग करते हैं. दूसरों को गुलाम बनाने के इरादे से अत्याचार करते हैं, वे मानवता के घोर शत्रु हैं और उनका अत्याचार उन्हीं को खा जाएगा हिटलर का उदाहरण पुराना नहीं पड़ा है। उसकी विस्तारवादी नीति ने ही उसे मार डाला । शास्त्र विद्या यही शिक्षा देती है कि शस्त्र का प्रयोग रक्षण के लिए होना चाहिए, भक्षण के लिए नहीं । गृहस्थों को कभी शस्त्र भी संभालना पड़ता है, मगर उस समय भी उसकी वृत्ति सन्तुलित रहती है। महाराजा चेटक व्रतधारी श्रावक थे। मगर कोरिणक के अत्याचार का प्रतीकार करने का जब अन्य उपाय न रहा तो उन्हें सेना और शस्त्र का उपयोग करना पड़ा। इस समय शस्त्र न सँभाल कर अगर वह कायरता का प्रदर्शन करते तो प्रत्याचार बढ़ता, न्याय-नीति की जड़ें उखड़ जाती और धर्म . को भी बदनाम होना पड़ता । वर्णनाग नतु पौषत्रशाला में बैठे श्रात्मसाधना कर रहे थे । वेले की तपस्या में थे । उसी समय उन्हें युद्ध भूमि में जाने और युद्ध करने का आदेश मिला। वे कह सकते थे कि मैं तपस्या कर रहा हूँ, युद्ध के लिए नहीं जा सकता । मगर नहीं, वे विवेकशील साधक थे। उन्होंने ऐसा नहीं कहा। धर्म, अहिंसा और तपश्चर्या को कलंकित करना उन्होंने घोर अपराध समझा । युद्ध का आह्वान आने पर उनके मन में खेद नहीं हुग्रा । हिचक नहीं हुई। उन्होंने वेला के बदले
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy