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________________ . . ...... ३९३ - जाग्रत करना कि वे धीरज और साहस रक्खें, एकता को कायम रक्खें, राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि स्थान दें, जीवन को इतना संयनमय बनाएँ कि अल्प से - अल्ल सामग्री से अपना काम चला सकें, लोभ लालत्र के वशीभूत होकर स्वार्थ .. ...साधन में लिप्त न हों, विलास का परित्याग कर त्यागभावना की वृद्धि करें . और प्रत्येक अनैतिक एवं अधार्मिक कार्य से बचते रहें, यह देश की आन्तरिक सुरक्षा है। "S... . . . .. . . ....... वाड्य सुरक्षा अान्तरिक सुरक्षा पर निर्भर है। अगर नागरिक जन अपने कर्तव्य और धर्म से विमुख होते हैं तो सैनिकों का साहस, पराक्रम और बलिदान सार्थक नहीं हो सकता। अतएव युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिये भी यह - अनिवार्य रूप से आवश्यक है कि प्रजाजन भी अपने जीवन को संभालें, देश में .. आन्तरिक शान्ति कायम रखें। जैसे नागरिकों को शस्त्रास्त्र देकर सबल बनाया । . जाता है, उसी प्रकार उन्हें कर्तव्य निष्ठा, धीरता, सहनशीलता और नैतिकता के द्वारा प्रवल बनाना मी अत्यावश्क है। इसके अभाव में भीतरी गड़बड़ी हो.. जायेगी । शस्त्र शिक्षा की अपेक्षा शास्त्रशिक्षा का महत्व कम नहीं है । भारतीय संस्कृति में दोनों की हिमायत की गई है, जो दोनों प्रकार की शिक्षा से शिक्षित नहीं, वह जाति, समाज और देश के लिए खतरनाक हो सकता है। .. नागरिकों में अज्ञान न हो; यह भी देशरक्षा के लिए आवश्यक है। :. ...'इतिहास से विदित होता है कि कई लोग अज्ञानतावश शत्रुपक्ष में मिल गए। :: इससे बड़ा खतरा किसी देश के लिए दूसरा क्या हो सकता है ? : .... : मानसिक वृत्ति में सन्तुलन लाने वाला शास्त्रशिक्षण है । इससे अान्तरिकः . जीवन का निर्माण होता है, फिर चाहे वह शासक हो कृषक हो या कुछ अन्य .. हो । अनानी का अपना विनाश देश के अनिष्ट का भी कारण बनेगा । अतएव..... ... आन्तरिक विजय प्राप्त करने के लिए शास्त्रंशिक्षा की आवश्यकता है। . शास्त्रीय शिक्षा में सामायिकसाधन का स्थान बहुत ही महत्व का है। . सामायिक से अन्तः करण में विषमता के स्थान पर समता की स्थापना होती.
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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