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________________ .: जाती है। उसे तोड़ा जाय तो उसमें से एक तार-सा निकलता है। कहा जाता .. है कि वह तार वास्तव में 'लार' नामक द्वौन्द्रिय जीव है। आम आदि फल भी जव कालातिक्रान्त हो जाते हैं तो उनमें त्रस जीव उत्पन्न हो जाते हैं । बड़े होने पर वे बिल-बिलाते नजर आने लगते हैं मगर प्रारंभिक अवस्था में उत्पन्न होने पर भी दिखाई नहीं देते। उनके सेवन से हिंसा का घोर पाप होता है। अतएव महिलाओं को तथा भाइयों को भी इस ओर पूरा ध्यान रखना चाहिए और कालातिक्रान्त-सड़ी, गली, धुनी वस्तुओं को खाने-पीने के काम में नहीं ... लेना चाहिए। .."जो बहिनें विवेकशालिनी हैं वे आवश्यकता के अंदाज से ही भोज्य पदार्थ बनाती हैं। किसी भी वस्तु को इतना अधिक नहीं राँध रखना चाहिए कि वह कई दिनों तक काम आवे । कौन रोज-रोन रांधे, एक दिन रांध लिया ... और कई रोज तक काम में लाते रहें, यह प्रमाद की भावना पाप का कारण है। ताजा बनी चीज़ स्वाद मुक्त एवं स्वास्थ्यकर होती है। थोड़े-से श्रम से वचने के लिए उसे बासी करके खाना-खिलाना गुड़ को गोबर बनाकर खाना.. खिलाना है । इससे निरर्थक पाप उत्पन्न होता है। बहिने प्रमाद का त्याग करें ': तो सहज ही इस पाप से बच सकती हैं। . . . .. कोई वस्तु बिगड़ गई है. या नहीं, यह परीक्षा करना कठिन नहीं है। -बिगाड़ होने पर वस्तु के रूप-रंग, रस, गंध में परिवर्तन हो जाता है.। उस परिवर्तन को देखकर उसके कालातिक्रान्त'होने का अनुमान लगाया जा ... सकता है। .. .... . . . . . . .. - शासन के कानून के अनुसार औषध निर्माताओं को इंजेक्शन आदि औषधों की शीशियों पर उसकी कालिक मर्यादा अंकित करनी पड़ती है और यह जाहिर करना पड़ता है कि यह औषध अमुक तारीख तक ही काम में लाई जा सकती है, उसके बाद नहीं। इसी प्रकार धर्म शासन के अनुसार भोज्य । - पदार्थों को भी विकृत होने के पश्चात् काम में नहीं लेना चाहिए।
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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