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________________ १८६] उल्लेख किया गया है। आज ऐसी अनगिनती चीजें चल पड़ी हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक हैं मगर उनके निर्माता लुभावने विज्ञापन करते हैं और जनता उनके चक्कर में आ जाती है। इनके बनाने में अपरिमित जीवों की हिंसा होती है, परन्तु इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। __ मद्यपान पर आज कोई अंकुश नहीं है । बहुत-से · अच्छे और धार्मिक ... संस्कार वाले घरों के नवयुवक भी बुरी संगति · में पड़ कर भूले. भटके इस । महा अनर्थकारी एवं जिन्दगी को बर्बाद कर देने वाली मदिरा के शिकार हो जाते हैं। इस ओर विवेकशील जनों का ध्यान आकर्षित होना चाहिये और अपनी संतान को मदिरा पीने की लत वालों दुर्व्यसनिओं की संगति से दूर रखना चाहिए। जिस घर में मदिरा का प्रवेश एक बार हो जाता है, समझ लीजिये वह घर बर्वाद हो गया। उसके सुधरने और सम्भलने की आशा बहुत ही कम रह जाती है । अतएव महाहिंसा से निर्मित तथा शरीर और दिमाग को अत्यन्त हानि पहुँचाने वाली मदिरा जैसी मादक वस्तुओं का व्यापार और -- सेवन श्रावक के लिए वर्जनीय कहा गया है। . (७) विस वाणिज्जे (विष वाणिज्य)-विष का और विषैले पदार्थों का . व्यापार करना विष वाणिज्य कहलाता है। ___ सोमिल, संखिया, गाँजा, अफीम आदि अनेक प्रकार के विषं होते हैं । ये सभी ऐसे पदार्थ हैं जो जीवन की पोषण शक्ति का घात करते हैं. और प्राण हानि भी करते हैं। ऐसी वस्तुओं का व्यापार करना अनेक दृष्टियों से वर्जनीय है। : प्रथम तो यह व्यापार लोकनिन्दित होने से किसी सद्गृहस्थ के योग्य नहीं है। दूसरे हिंसा आदि अनेक घोर अनर्थों का भी कारण है। इनके सेवन से सिवाय. अनर्थ के कोई लाभ नहीं होता। तमाखू भी विषैले पदार्थों में से एक है और आजकल अनेक रूपों में : इसका उपयोग किया जा रहा हैं । तमाखू को लोग साधारण चीज़ या साधा. रण विष समझने लगे हैं किन्तु यह उनका भ्रम है। तमाखू का पानी अगर
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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