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आध्यात्मिक आलोक
31 इसीलिए तो संत तुलसी ने भी कहा है कि निर्मल मन से ही ईश की प्राप्ति होती है -
"निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा ।"
ज्ञान का समुद्र बहुत विस्तृत एवं अगाध है और मनुष्य का जीवन सीमित और लघु । वह चाहे तो अनुकूल ज्ञान ग्रहण कर सकता है और अपने जीवन को ज्ञान ज्योति से दीपावली की तरह जगमगा सकता है । जागृत और प्रयत्नशील मनुष्य का कल्याण हुए बिना नहीं रहता।