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________________ . पंच्या (प)बाद में एसोवमा [(एसा) । (उवमा)] एसा (एसा) 11 सवि.उवमा (उवमा) I|| सासयवाइयाणे [(सासय)(वाइ) स्वापिक 'य' 612] विसीयई (विमीय) व 3/1 प्रक. सिढिले (सिढिल)- 7/1 वि पाठयम्मि (पाउय) 7/1 कालोवगीए [(काल) + (उवणीए)] [(काल)-(उवणीअ) 7/1वि] सरोरस्स (मंगेर) 6/1 मेए (भप्र) 7/1. 26. जहा (प्र)-जैसे सागरियो (सागडिग्र) 1/1 वि जाणं (जाण) वकृ 1/1 अनि समं (सम) 2/1 वि हेच्चा (हेच्चा) संकृ अनि महापहं (महापह) 2/1 विमम (विसम) 211 मग्गमोइयो [(मग्गं)+ (प्रोइण्णो)] मर्ग (मग्ग) 21 प्रोइण्णो (प्रोडण्ण) भृक 1/1 अनि अखे (प्राय) 7/1 भंग्गम्मि (भग्ग) भूक 7/1 सोयई (सोय) व 3/1 प्रक. 27. एवं (प)-इसी तरह धम्म (अम्म) 2/1 विउक्कम्म (विउक्कम्म) , संकृ अनि प्रहम्मं (अहम्म) 2/1 डिवज्जिया (पडिवज्ज) संकृ पनि बाले (बाल) I|| वि मच्चमुहं [(मच्चु)-(मुह)4 211] पत्ते (पत्त) भूक 1/। अनि प्रक्खे (अक्ख) 7/1 भग्गे (भग्ग) भूक • 711 अनि व (म)=जैसे सोयई (सोय) व 3/1 अक. 1. छन्द की माता की पूर्ति हेतु 'इ' की 'द किया गया है। 2. 'गमन' अयं की धातुपों के साथ द्वितीया होती है। 3. देखें गापा 1 . 4. 'गमन' मयं की धातुओं के साप द्वितीया होती है। 70 ] उत्तराध्ययन
SR No.010708
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1998
Total Pages137
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size3 MB
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