SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रत्नसेन-पद्मिनी गोरा बादल सवन्ध खुमाण रासो] [१३३ जिहा जे वेसाड्या जूझार, बूडा उदधी में तिण वार । जपें आलम रावव व्यास, कीधो कटक तणो सहु नाश ।।५।। ओर वताओ कोई ठोड, कहें राघव पदमण चितोड़। लेत्ता ते मुसकल अतिघणी, सेसतणी दुरलभ जिम मणी ॥८॥ रतनसेन वाको रजपूत, महा सुभट माझी मजबूत । आलिम कहें हिन्दू का क्याह, गढ़ चीत्तोड चढुंउच्छाह ।।५।। पदमणि गहि वांधु हिंदवाण, तोहुँ तखत वडो सुलताण। सुण राघव आलिम कहे, कह पदमणि सहिनांण । करु ह(ट्) ठ तस ऊपरें, गढ़ घेरु घमसांण ||६|| सुण हजरत राघव कहें, नवरस महि सिणगार । नांम च्यार हे नायका, वरणव कहुं विचार ॥६२।। कवित्त सुन हो साह कहें व्यास, धरहुं रस पेम उकत्तह । वाखानहुँ सींगार, सुन हो चित होय सुरत्तह ।। किती भात नायका, कोन गुनरूप विलासह । भाँत भाँत कहि भेद, करिहु निज बुध प्रकासह ॥ आलिम साह' सुनीइं अरज, च्यार जात त्रिय के कहें। नायका तीन सबके घरे, वखत वार पदमणि लहें ६३।। कहें साह सुनि व्यास, करहो सबके वाखाणह । रूप लच्छन गुन भेद, तुम हो सब बात सयाणह ॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy