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________________ [ ( इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर चिह्न ममाम का द्योतक है । ) - ( ) - ( ) ........ | , I 1 1/2 2/1 2/2 3/1 3/2 4/1 4/2 5/1 = 5/2 6/1 6/2 1 / 1 प्रक. या सक उत्तम पुरुष / 7 /1 • जहाँ कोष्ठक के बाहर केवल आदि) मंख्या (जैसे 1 / 1, 2 / 1 ही लिखी है, वहाँ उम कोष्टक के अन्दर का शब्द 'संज्ञा' है । : • जहाँ कर्मवाच्य, कृदन्त श्रादि प्राकृत के नियमानुसार नहीं बने हैं, वहाँ कोष्टक के बाहर 'प्रनि' भी लिखा गया है । एक वचन 1/2 प्रक या सक= उत्तम पुरुष / बहुवचन 2/1 अक या सक= मध्यम पुरुष / एक वचन * 2/2 अंक या सक = मध्मम पुरुप / 3/1 अक या 3/2 अक या चयनिका ] बहुवचन सक = अन्य पुरुष / एक वचन सक = अन्य पुरुष / बहुवचन 7/2 8/1 8/2 ÷ - - = = = = - = 1 = = प्रथमा / marat प्रथमा / वहुवचन द्वितीया / एकवचन द्वितीया / बहुवचन तृतीया / एकवचन तृतीया / बहुवचन चतुर्थी / एकवचन चतुर्थी / बहुवचन पंचमी / एकवचन पंचमी / बहुवचन षष्ठी / एकवचन षष्ठी / बहुवचन सप्तमी / एकवचन सप्तमी / बहुवचन संवोधन / एकवचन संबोधन / बहुवचन [ 41
SR No.010704
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages103
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size3 MB
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