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________________ tak.tuttttikt.kkkkkkk.intak.kkkik.kuttttituttitutekatkukkutsthkkkuktik Hakutulote dintretietectataterte tortor tertenties te toets te maken en kan te 1८४ जैनग्रन्थरत्नाकरे वानारसीदास कंकसार अन्यसार जैसे, ___ जनमको द्यौस जैसो द्यौस मरणंतरो। अध्यातम शैली अन्य शैलीको विचार तैसो, ज्ञाताकी सुदृष्टिमाहिं लागै एतो अंतरो ॥ ३८॥ नरभव पाय पाय बहु भूमि धाय धाय, पर गुण गाय गाय बहु देह धारी है। नरभव पीछे देह नरक अनेक भव, फिर नर देव नर असंख्यात वारी है। एक देवभव पीछे तिथेच अनंत भव, वानारसी संसारनिवास दुःखकारी है। क्षायक सुमतिपाय मोह सेना विठुराय, अब चिदानंदराय शकति सँभारी है ।। ३९ ॥ पामर वरण शूद्र वास तव देह बुद्धि ___ अशुभको काज ताहि तात बड़ी लान है । वैश्यको विचार वाके कछू करतूति फेर, वैश्य वास वसै तौलों नाहिं जोगराज है ॥ क्षत्री शुद्ध परचंड जैतवार काज जाके, वानारसीदास ब्रह्म अगम अगाज है। जैसे वास वसै लोय तामें तैसी बुद्धि होय, जैसी बुद्धि तैसी क्रिया क्रिया तैसो काज है ४० ituttitutikkukukkukutekstatutatituitatutitutitutkukuttakutitutitutitutkukukkukukut.kitan
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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