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________________ 444444 SARAN 4444444 MARAUHAJANAPAN + L बनारसीविलासः ttituttotkrkukuntukukuttitikutituteketitutetotket.ttituirt.ttituttitutetkutrkakkar सत्यशील रोकवेको पौड़ परदार जैसे दुर्गतिके मारग चलायवेकों धोरी है । कुमतिके अधिकारी कुनैपथके विहारी; _ भद्रभाव ईधन जरायवेकों होरी है। मृपाके सहाई दुरमावनाके भाई ऐसे विषयाभिलापी जीव अधके अघोरी हैं ॥ ७ ॥ कमलाधिकार। निम्नं गच्छति निम्नगेव नितरां निद्रेव विष्कम्मते १ चैतन्यं मदिरेव पुष्यति मदं धूम्येव धत्तेऽन्धताम् । चापल्यं चपलेच चुम्बति दबञ्चालेय तृष्णां नयत्यल्लासं कुलटाङ्गनेव कमला स्वैरं परिभ्राम्यति ॥७॥ मत्तगयन्द । नीचकी ओर ढरै सरिता जिम, धूम बढ़ावत नींदकी नाई।। चंचलता प्रघटै चपला जिम, अंध करै जिम धूमकी झाई ॥ तेज करै तिसना दब ज्यों मद; ज्यों मद पोषित मूढके ताई। ये करतूति करै कमला जग; डोलत ज्यों कुलटा बिन साई ॥ दायादाः स्पृहयन्ति तस्करगणा मुष्णन्ति भूमीभुजो * गृहन्ति च्छलमाकलय्य हुतभुग्भस्मीकरोति क्षणात् । अम्भः धावयते क्षिती विनिहितं यक्षा हरन्ते हठा दुर्वृत्तास्तनया नयन्ति निधनं धिग्यवधीनं धनम् ७४ Hetatistatituttitutixitsrstitutitutitutitutikhetatutectetitutitutetaketstitutatutitutorsten A
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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