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________________ Talat tattattatotket.tuttekatet tattatotst.tattitutte जैनमन्थरताकर Httitut.ttituttitutkukutruttik krkukkukkutaketikotekt.krt.tattitut.titutitutituttitute शिखरिणी। पिता माता भ्राता प्रियसहचरी सूनुनिवहः सुहृत्स्वामी माद्यत्करिमटरथाश्वः परिकरः । निमजन्तं जन्तुं नरककुहरे रक्षितुमलं गुरोधर्माधर्मप्रकटनपरात्कोऽपि न परः ॥१५॥ मत्तगयन्द । मात पिता सुत बन्धु सखीजन; मीत हितू मुख कामन पीके । * सेवक साज मतंगज बाज; महादल राज रथी स्थनीके ॥ दुर्गति जाय दुखी विललाय; पर सिर आय अकेलहि जीके । पंथ कुपंथ गुरू समझावत; और सगे सब स्वारथहीके ॥ १५॥ शार्दूलविक्रीडित। किं ध्यानेन भवत्वशेपविपयत्यागैस्तपोभिः कृतं ___ पूर्ण भावनयालमिन्द्रियजयैः पर्याप्तमाप्तागमैः।। किं त्वेकं भवनाशनं कुरु गुरुप्रीत्या गुरोः शासनं सर्वे येन विना विनाथवलवत्स्वार्थाय नालं गुणा वस्तु इन्द। ध्यान धारन ध्यान धारन विषै सुख त्याग । करुनारस आदरन; भूमि सैन इन्द्री निरोधन ॥ व्रत संजम दान तप; भगति भाव सिद्धंत साधन ॥ ये सब काम न आवहीं; ज्यौं विन नायक सैन । शिवमुख हेतु वनारसी; कर प्रतीत गुरुवैन ॥ १६॥ Jittuttitutstectetituttitikkkkkkaket-Ritutkurkickukkukukurkut.ket.XXX.x.x.ke
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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