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________________ 4 44 JAMAMANAWLMAM TIMMAHLIMIT NAMMMMADAALANColina जैनग्रन्थरलाकरे 4............... Ritikartkit.kotkokot.krt.totakt.kot.k.kokaktituttitutni .......RE- T मंगलकमला. शिवनायक शिव एव । प्रवलेश प्रजापति देव ॥ मुदित महोदय मूल । अनुकम्पा सिंधु अकूल ।। ८६ ॥ नौरोपम गर्ने पंक । नीरीहत निर्गत शंक ॥ नित्य निरामय मौन । नीरन्ध निराकुल गान ।। ८७ ॥ परम धर्म रथ सारथी (१)। धृत केवल रूप कृतारथी (1) परम नित्य भंडार । संवरमय संयमधार ॥ ८८ ॥ शुभी सरबगत संत । शुद्धोधन शुद्ध सिद्धत ।। नैयायक नय जान । अविगत अनंत अभिधान कर्मनिर्जरामूल | अघभंजन मुखद अमूल || । अद्भुत रूप अशेप । अवगमनिधि अवगमभेप ॥ १० ॥ बहुगुण रखकरंड । ब्रह्मांड रमण लंड ॥ वरद बंधु भरतार । महदंग महानेतार ॥ ११ ॥ गतप्रमाद गतपास । नरनाथ निराथ निरास ।। महामंत्र महास्वामि । महदर्थ महागति गामि ॥ ९२ ॥ महानाथ महजान । महपावन महानिधान ॥ गुणागार गुणवास । गुणमेरु गभीर विलास ॥ ९३ ॥ करुणामूल निरंग । महदासन महारसंग ।। लोकवन्धु हरिकेश । महदीश्वर महदादेश ॥ ९४ ॥ १ कंपाप २ महत्+अग ३ महत्+आसन. ४ महत् ईश्वर. ५ मा शहद आदेश. E XT -Ar tx-tatott tyttutitutakutakit uti-I.XXRnt.titutet-krt.kol
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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