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________________ X.x. x.x.xkok.totki. t tuttitutxnkakakakk.xuttotoskukt.kokakkakekat.kot.ketitut.kutiktak.k.kotket.t.tta २६ जैनग्रन्थरत्नाकरे mmmmmmmmmmmmmm.in आगत अनुकम्पामय अडोल । अशरीरी अनुभूती अलोल || विश्वभर विस्मय विश्वटेक । ब्रजभूषण वजनायक विवेका॥२५॥ छलभंजन छायक छीनमोह । मेधापति अकलेवर अकोह || अद्रोह अविग्रह अग अरक । अद्भुतनिधि करुणापति अबंक २६ । १ सुखराशि दयानिधि शीलपुंज । करुणासमुद्र करुणामपुंज ॥ वनोपम व्यवसायी शिवस्या निश्चल विमुक्त ध्रुव सुथिर मुस्ख २७॥ जिननायक जिनकुंजर जिनेश । गुणपुंज गुणाकर मंगलेश ॥ भी क्षेमंकर अपद अनन्तपानि । सुखपुंजशील कुलशील खानि ॥२८॥ करुणारसभोगी भवकुठार । कृषिवत कृशानु दारन तुसार ॥ कैतवरिपु अकल कलानिधानाधिपणाधिप ध्याता ध्यानवान २९ दोहा. छपाकरोपम छलरहित, छेत्रपाल छेत्रज्ञ ॥ अंतरिक्षवत गगनवत, हुत कर्माकृत यज्ञ ॥ ३०॥ इति चिन्तामणि नाम तृतीनशतक ॥३॥ पद्धरिछन्दः लोकांत लोकप्रभु लुप्तमुद्र । संवर सुखधारी सुखसमुद्र ।। शिवरसी गूढरूपी गरिष्ट । वलरूप बोधदायक वरिष्ट ||३१|| विद्यापति घीधव विगतवाम । धीवंत विनायक वीतकाम || अधीरस्व शिलीद्रुम शीलमूल । लीलाविलास जिन शारदूल ॥३२ परमारथ परमातम पुनीत । त्रिपुरेश तेजनिधि त्रपातीत ॥ तपराशि तेजकुल तपनिधान । उपयोगी उग्र उदोतवान॥३३॥ १ चन्द्रोपम, PREPARAN x t .th *-*-kut.ttt.titut-t.kettrkut-2.3-X-t.k.krt.k-kutekrkaka
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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