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________________ जाहिरात। . श्रीमद्भागवत संस्कृत तथा भाषा टीका सहित। श्रीवेदव्यासप्रणीत श्रीमद्भागवत सवले कठिनह गौर इतकामाचार भरतखण्डमें सबसे अधिक है यह ग्रंथ क्लिष्टताके कारण सर्व साधारण लोगोंको टीका होनेपर भी अच्छी रीतिसे समझना कठिन था कोई २ 'स्थलोंमें बड़े २ पण्डितोंकी भी बुद्धि चक्करमें पड़जाती थी, इसलिये विना संस्कृत पढे सर्व साधारण पण्डित व स्वल्प विद्याजाननेवाले भगवद्भक्तोंके लाभार्थ संस्कृत मूल ३ अतिप्रिय ब्रजभापा टीकासहित जोकि हिन्दी भाषाओंमें शिरोमणि और माननीयह उसी भाषामें टीका बनवाकर प्रथमावृत्ती छपायाथा वह बहुतही जल्दी हाथोंहाथ. विकगई, फिर द्वितीयावृत्तिभी विकगई मन इस्ली तृतीयावृत्ति द्वितीयावृत्तिकी अपेक्षा अच्छी तरह शुद्ध करवाके मोटे अक्षरमें छपायाहै और भक्ति ज्ञानमार्गी ५००अतीव मनोहर दृष्टांत दिये हैं. कागज विलायती बढ़िया लगायाहै, माहात्म्य पठाध्यायी भाषाटीका सहित इस्के साथहीहै, प्रथमावृत्ति में मूल्य १५ रुपया था इस आवृत्तिमें केवल १२वाराही रुपया रक्खा है. पद्मपुराण समग्र सातो खंड ५५००० ग्रंन्त्र छपातयार है मूल्य डाकव्यय सहित केवल १८ रु०मात्र अर्थात् २८ रु० भेजनेसे घर बैठे ग्रंथमिल जावेगा श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण । .. श्रीवाल्मीकीय रामायण२४०००ग्रंथका सरलसुबोध ब्रजभाषाटीकाबनवाकर छापक तयार किया है जिसने वीचमें मूल और नीचे अपर मावाटीका है. और एक वाल्मीकीय रामायणक्षा भाषावातिक छपा है, जिसमें
SR No.010696
Book TitleGyanand Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Munshi
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1895
Total Pages105
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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