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________________ संस्कृतटीका-हिन्दी-गुर्जरभाषान्तरसहिता ३७१ कुदरतकी झलक थी, क्या ज़ात थी जिस जातमें फ़ितरतकी चमक थी ॥२॥ महसूस हुआ जब इसे दरपेश सफर है, मंज़िल है कड़ी राहमें गुमराही का का डर है। दुनिया जिसे कहते हैं वह इक खानए शर है, माराम कहां दर्दोमुसीवतका यह घर है। सोचा के यह क्या है के हूं खुद में भी इसी में, नाफहमी से माखूज़ हूं राहते तल्बी में ॥ ३ ॥ जव गौर किया हस्तीए अशिया नज़र आई, दर असल अजब सैर सरापा नज़र आई। बच्चोंका घरोंदा सा यह दुनिया नज़र आई, मिट मिटके भी होती हुई पैदा नज़र आई। जौहरके अरज़का नहीं कुछ ठीक ठिकाना, गिरगटकी तरह रंग बदलता है जमाना ॥ ४ ॥बेसबाती (अनित्यता) हर रंगेजहां अस्लमें बिजलीकी चमक है, जो शक्ल हवेदा है वह शोलेकी लपक है। गुंचोंकी चटक है न वहे फूलोंकी महक है, इक हस्तीएमोहूमकी यों ही सी झलक है। पल भरमें न वह शक्ल न वह शान न सूरत, था वहमे नज़र आखने देखी थी जो सूरत ॥५॥ हर चीज़ के जिस चीज़प होनेका गुमा हो, बेहरकतो बेजान हो या साहिवेजा हो । इक शक्ल हो तखीर हो हस्तीका निशा हो, कमजोर हो शहज़ोर हो वातावोतवां हो । वक आए तो फिर ज़ोर किसीका नहीं चलता, वह हुक्मेकज़ा है के जो टाले नहीं टलता ॥ ६ ॥ कहते हैं जवानी जिसे वचपनकी फ़ना है, पीरी जिसे कहते हैं जवानीकी क़ज़ा है। हर अहदमें इक लुत्फ है हर लुत्फ़ जुदा है, इक लुत्फ़में सौ दर्द हैं हरदर्द सिवा हैं। फिर दर्द के राहत कोई कायम भी कहीं है, क्या है जिसे "है" कहिए के है भी तो नहीं है ॥ ७ ॥ बेपनाही (अशरणता) मादर पिदर व दुरुतरो फर्ज़िन्दो विरदार, याराने वफ़ादार रफ़ीकान दिलावर । ओरग कुलाहे मही सदकाने जवाहर, इन्सानोंकी फौजें हों के देवोंका हो लश्कर । होनी कमी टलती नहीं आपहुंचे जव इंज़ाम, हर सुबहके दामनसे है वावस्ता यहा शाम ॥ ८॥ कमज़ोर हो मज़बूत हो वाशानो असर हों, मुफलिस हो गदा हो कोई या साहिबेज़र हो । जंगी हो फिरगी हो कोई रश्के कमर हो, हो खारेनज़र सवका के मुंजूर नज़र हो । वक्त आया तो फिर नोए दिगर हो नहीं सकता, यमराजके पंजेसे मफ़र हो नहीं सकता ॥ ९ ॥ मरता है पिसर वापसे रोका नहीं जाता, मा रोती है दम बेटेका थामा नहीं जाता। मुंह तकते हैं सब याससे वोला नहीं जाता, भाईसे भी भाईको बचाया नहीं
SR No.010691
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshemchandra Shravak
PublisherMahavir Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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