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________________ ७३ गया कि इस मामलेमें जो तकलीफें और खर्च मुझे उठाना पड़ा है, वह किसी सजासे कम नहीं है । __ जिस समय यह मुकद्दमा चल रहा था, उस समय मिलके नामसे बहुतसे गुमनाम पत्र आया करते थे। किसीमें गालियाँ लिखी रहती थीं, किसीमें अश्लील चित्र बने रहते थे, किसीमें असभ्य उपहासकी बातें लिखी रहती थीं और किसी किसी में यहाँतक धमकी लिखी रहती थी कि तुझे जानसे मार डालेंगे ! ये पत्र इस बातक निदर्शक थे कि इंग्लैंडमें जो बहुतसे नरपशु रहते हैं, उन्हें जमैकाके जुल्मका कितना पक्ष है । इसलिए मिलने अपने संग्रहमें उनमेंसे बहुतसे पत्र रख छोड़े। __ पारलियामेंटमें जव डिस्रायली साहवका सुधारका बिल पेश हुआ, तब मिलने उसपर एक लम्बा चौड़ा और जोरदार व्याख्यान दिया । साथ ही प्रतिनिधि-राज्यव्यवस्थामें जो अतिशय महत्त्वके सुधार होने चाहिए, उनके विषयमें दो सूचनायें उपस्थित की। एक तो यह कि वोट देनेवालोंको उनकी संख्याके अनुसार प्रतिनिधि चुननेका अधिकार देना चाहिए और दूसरी यह कि स्त्रियोंको भी वोट देनेका अधिकार मिलना चाहिए । इनमें यद्यपि पहली सूचनाहींके विषयमें थोड़ी बहुत सफलता हुई दूसरीके विपयमें बिलकुल नहीं हुई, तो भी यह जानकर न केवल उसके प्रतिपक्षियोंको ही किन्तु स्वयं उसे भी, बड़ा भारी आश्चर्य हुआ कि उसकी ( स्त्रियोंको वोट देनेके अधिकारसम्बन्धी ) दूसरी सूचनाके लिए दस पाँच नहीं अस्सी वोट मिले हैं ! इससे मिलको अपनी सूचनाके सफल होनेकी बहुत कुछ आशा हो गई और जब उसके व्याख्यानके प्रभावसे इस विषयके विरोधी 'ब्राइट ' साहब भी उसके अनुकूल हो गये तब तो वह आशा बहुत ही दृढ़ हो गई।
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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