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________________ करनेवाले नहीं। हम आपके कृतज्ञ हैं जो आपने हमारे विषयमें अपने विचार साफ साफ प्रकट कर दिये ।" यह सुनकर लोगोंने फिर तालियाँ बजाकर प्रसन्नता प्रकट की। इस प्रकार विजयी होकर मिल पारलियामेंटका मेम्बर हो गया और लगातार तीन वर्षतक इस पदपर बना रहा । इन तीन वर्षोंमें जो पारलियामेंटके सुधारका बिल पेश हुआ उसका खूब आन्दोलन हुआ और बहुत वादविवादके पश्चात् अन्तमें वह पास हो गया। इस अरसे में पारलियामेंटमें इसके बहुतसे व्याख्यान हुए । यद्यपि इसकी वक्तृत्त्व-शक्ति बहुत अच्छी न थी तो भी वह जो कुछ कहता था, सप्रमाण कहता था । उसकी दलीलें बहुत मजबूत होती थीं। ग्लैडस्टन साहबने उसकी दलीलोंकी बहुत प्रराँसा की है । सुधारके कानूनका जा मसविदा उक्त ग्लैडस्टन साहबने पेश किया था उसपर उसके बड़े मार्मिक व्याख्यान हुए थे और उनका असर भी अच्छा पड़ा था। फाँसीका सजा बिलकुल उठा देना ठीक नहीं है। दूसरोंके जहाजोंपर भी बरामद हुआ शत्रुका माल जप्त करना चाहिए। व्यक्तिके गुणोंको देखकर मत देनेका अधिकार देना चाहिए-धन वैभव देखकर नहीं। इत्यादि विषयोंपर जो उसके कई व्याख्यान हुए वे उस समयके सुधारकोंको भी पसन्द न आये। जिस सुधारके विषयमें बहुत कम लोग कुछ कहनेके लिए तैयार होते थे, अर्थात् जो पक्ष अच्छा होकर भी बलहीन होता था, मिलका कुछ ऐसा ही स्वभाव था कि वह उसी पक्षको लेता था और उसीका खूब साफ साफ शब्दोंमें प्रतिपादन करता था। जिस समय आयलैंडके एक सभासदने आयलैंडके अनुकूल एक बिल पेश किया, उस समय उसका अनुमोदन सबसे पहले मिलहीने किया । यह बिल इंग्लैंडके और स्काटलैंडके लोगों को इतना
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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