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________________ विद्या प्राप्त कर ली और धर्मसंस्थामें प्रवेश करनेकी आज्ञा भी ले ली। परन्तु इतना पढ़नेपर भी उसे ईसाई धर्मकी किसी भी शाखापर विश्वास न हुआ, इस लिये उसने धर्मोपदेशकका कार्य करना उचित न समझा । अपने विश्वासके विरुद्ध किसीसे कुछ कहना अथवा उपदेशादि देना उसे पसन्द न था । पहले कुछ समय तक तो वह अध्यापकका कार्य करता रहा, पीछे लन्दनमें आकर कुछ दिनोंतक उसने ग्रन्थरचना करके अपना निर्वाह किया, इसके बाद सन् १८१९ में वह ईस्ट इंडिया कम्पनीके आफिसमें नौकर हो गया । ___ यूरोपमें, विशेष करके इंग्लैंड आदि उन्नत देशोंमें, जब तक पुरुष स्वयं उदरपोषण नहीं करने लगता है तबतक विवाह नहीं कर सकता। यदि कोई इस प्रकार समर्थ होनेके पहले विवाह कर लेता है तो समाजमें उसकी बहुत निन्दा होती है । परन्तु जेम्स मिलने नौकरीसे लगनके पहले ही अपना विवाह कर लिया था और तबतक उसके कई बाल-बच्चे भी हो चुके थे। उसने अपने ग्रन्थोंमें जिस मतका प्रतिपादन किया है उससे उसका यह बर्ताव बिलकुल ही उलटा था, इसमें सन्देह नहीं है । परन्तु वह इतना उद्योगी और मितव्ययी था कि उसे अपने कुटुम्बके निर्वाहके लिये कभी किसीसे ऋण नहीं लेना पड़ा। उसने लगभग दश वर्षमें भारतवर्षका एक विशाल इतिहास लिखा है। इसे वह उस समयमें लिखता था, जो उसे अपनी नौकरी और कुटुम्बके प्रपंचको चलानेके बाद आरामके लिये मिलता था। इससे पाठक समझ सकते हैं कि, वह कितना उद्योगी और कार्यतत्पर था। उसके धार्मिक, नैतिक और राजनैतिक विचार उस समयके लोगोंके सर्वथा विरुद्ध थे । इस कारण लोग उसे नास्तिक और, पाखंडी कहते थे। परन्तु वह इस निन्दाकी जया भी
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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