SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ दलके लोग बहुत कम शामिल होते थे। हाँ, लिबरल दलकी अवश्य ही खासी भीड़ हो जाती थी। _वेस्ट मिनिस्टरसे सम्बन्ध-त्याग । __ मिल इस तरह जुदा जुदा मार्गौसे अपनी बुद्धिको बढ़ाने में लगा रहता था और साथ ही नौकरीका काम भी जी लगाकर करता था। परन्तु अब व्याख्यानादिकी तय्यारियोंमें लगे रहनेसे उसे अवकाश कम मिलने लगा । इसलिये उसने सन् १८२८ में वेस्ट मिनिस्टर रिव्यूसे अपना सम्बन्ध तोड़ दिया। इस सम्बन्धके तोड़नेके दो कारण और भी थे। एक तो यह कि अब उक्त पत्रकी कीर्ति पहले जैसी नहीं रही थी और दसरे उसके संचालकने जिस परुषको अधिकार दे रक्खा था उससे मिलकी बनती न थी। मिलके पिताने भी उससे बहुत कुछ सम्बन्ध तोड़ दिया था। __ वेस्ट मिनिस्टरमें मिलका सबसे अन्तिम लेख फ्रान्सकी राज्यक्रान्तिका मंडन था और वह सर वाल्टर स्कॉटका विरुद्ध पक्ष लेकर लिखा गया था। इस निबन्धके तैयार करनेमें मिलने निस्सीम परिश्रम किया। इसके लिये उसने सैकड़ों ग्रन्थ पढ़े और उनको खरीदनेमें हजारों रुपये खर्च किये। मिलकी इच्छा थी कि मैं फ्रान्सकी राज्यक्रान्तिका एक उत्तम इतिहास लिखू, इसीलिये उसने इतना परिश्रम और अर्थ-व्यय किया था । परन्तु उसके हाथसे यह कार्य न हो पाया । हाँ, कारलाइलने जब इस विषयका इतिहास लिखा तब उसे उसकी संग्रह की हुई सामग्रीसे बहुत सहायता मिली। विश्राम । वेस्ट मिनिस्टरसे सम्बन्ध छोड़नेपर मिलने कुछ वर्षों तक लेख लिखनेका काम बन्द ही सा कर दिया। इस कामसे उसे अरुचिसी हो गई।
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy