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________________ १४ निष्कपट व्यवहार रखना, नम्र होकर रहना, अपने विचारोंमें दृढ़ रहना, उद्योग करनेमें कसर नहीं रखना, आपत्तियोंको शान्ततासे सहन करना, सार्वजनिक हितके कार्यों में जी लगाना, प्रत्येक वस्तुको और मनुष्यको उसके उपयोग और गुणोंके अनुसार महत्त्व देना, और जीवनका फल शौक या आराम करना नहीं किन्तु निरन्तर उद्योग करते रहना है--इत्यादि गुणोंसे जेम्सको बहुत प्रीति थी और इसलिये उसने अपने लडकेके जीमें इन सब गुणोंको अच्छी तरहसे सा दिया था । प्लेटो, झिनोफन, साक्रेटीस, आदि ग्रीक तत्त्ववेत्ताओंके ग्रन्थोंने मिलके चित्तपर इन गुणोंका और भी गहरा प्रभाव डाला । इसके सिवा स्वयं जेम्सका भी चरित्र बहुत अच्छा था । उसमें ऊपर कहे हुए प्रायः सभी गुण मौजूद थे और यह सभी जानते हैं कि कोरे उपदेशोंकी अपेक्षा उदाहरणका अच्छा असर पड़ता है । इन सब कारणोंसे मिलका नैतिक आचरण बहुत ही अच्छा हो गया । अकसर लोगोंको यह खयाल है कि धार्मिक शिक्षा न मिलने या किसी धर्मपर विश्वास न रहनेसे मनुष्यका चरित्र बिगड़ जाता है; परन्तु जेम्सने इस खयालको बिलकुल गलत साबित कर दिया। इस समय भी इंग्लैंड आदि देशोंमें जो नास्तिक और धार्मिक श्रद्धासे रहित हैं उनसे बहुतोंके नैतिक आचरण कट्टरसे कट्टर ईसाइयों तथा दूसरे धर्मवालोंसे अच्छे देखे जाते हैं ! जेम्सकी शिक्षापद्धतिका एक दोष। जेम्सकी शिक्षापद्धतिमें एक बड़ा भारी दोष था। वह यह कि उसने अपने लड़के पर कभी ममता या प्रीति प्रकट नहीं की। उसका ऐसा कोमल या स्नेहयुक्त वर्ताव न था कि लड़का उसे अपना सखा या प्यार करनेवाला समझकर अपने मनकी बातें कह दिया करता
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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