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________________ रूपचतुदर्शी अर्थात् स्वल्पदर्शन इकट्ठा किया। जब वे लोग सेठ के सामने उपस्थित हुए, तब उसने उनका स्वागत करते हुए कहा- वाहिये गंवार-साहबानो, आप लोगों के लिए क्या भोजन बनवाया जाय । यह सुनते ही वे लोग बोले- सेठ सा०, हम लोग कैसे गंवार हैं ? सेठ बोला-आप लोग गादी पर पड़े रहते हैं, और हजारों रुपया वापिक का वेतन पाते हैं, इसलिए गंवार ही है। मुनीम-गुमासते बोले-आप जितना वेतन देते हैं, उससे कई गुणा धन कमा कर आपको देते हैं । फिर हम लोग गंवार कैसे हो सकते है। तव सेठ ने पूछा तो बताओ गंवार कौन हैं ? उन्होंने कहा-- गंवार तो दलाल लोग हैं, जो गांठ का एक पैसा भी न लगाकर कमाते है और हवेलियां बनवाते है । यह सुनकर सेठ ने उन लोगो को विदा किया और दलालों को बुलवाया। दलालों ने सोचा आज तो कोई बड़ा सौदा हाथ लगने वाला है, अतः वे हर्पित होते हुए सेठ के पास पहुंचे और बोले-कहिये सेठ सा०, क्या लेना वेचना है ? मेठ ने कहा- भाई मुझे सौ गंवारों को जिमाना है, अतः आप लोगों को बुलाया है । कहिए-~-क्या भोजन बनवाया जाय? यह सुनकर दलाल बोले-सेठ सा०, आप हमें गंवार कहते हो ! सेठ बोला- हां हां आप लोग गंवार तो है ही ? क्या सौदा करने मे घर का पैसा लगाते हो ? दलाल बोले सेठजी, पैसा लगाकर तो गेली रांड भी कमा लेती है । परन्तु हम लोग तो विना पैसा लगाये ही हजारों कमाते हैं । और कमाने का रुख दिखाकर आप लोगों को हजारों-लाखों दिलाते है । यदि हम लोग प्रतिकूल हो जावें तो आपको एक पैसे का भी लाभ नहीं होने दे । तब रोठ वोला- अच्छा तो बताओ गंवार कौन है ? दलाल बोले-फौजदार, दीवान आदि जितने सरकारी आफिसर है, वे सव पक्के गंवार है। यह सुनकर सेठ ने दलालों को विदा किया और सी आफिसरों को बुलवाया। मनीमजी ने उन लोगों से जाकर कहा सेठ सा० ने आप लोगों को याद किया है। भाई, पैसे वाले के बुलावे पर सब पहुंचते हैं अतः सभी आफिसर लोग अपनी अपनी सदारियों पर सवार होकर सेठजी के घर पहुंचे। सेठ ने सवका स्वागत किया और उन्हें यथोचित स्थान पर बैठाया। उन्होंने पूछा----कहिये सेठ साहब, कौन सा ऐसा केया आ गया है, जिसके लिए आपने हम लोगों को याद किया है ? सेठ ने कहा- केश तो माथे के ऊपर रखता हं। और यदि कोई नया काम कराना होगा तो राजा साहब से कहकर करा लंगा । तब उन्होने पूछा --फिर आपने हम लोगों को क्यों याद किया है ? सेठ ने कहा--बात यह है कि मुझे एक बड़ा भारी फोड़ा हो गया था। उसके ठीक होने के लिए मैंने सौ गंवारो को जिमाने की मनौती बोली थी । अब कहिये----- आप लोगों को खिलाने के लिए क्या बनवाया जाय ! यह सुनते ही स्प्ट होकर
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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