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________________ धनतेरस का धर्मोपदेश १५५ पूछा- अहो गौतम, भगवान पार्श्वनाथ ने चातुर्याय धर्म की प्ररूपणा की और भगवान महावीर ने पंचयाम धर्म की । जब दोनों का लक्ष्य एक है, तब यह प्ररूपणा भेद क्यों ? गौतम ने कहा-भन्ते, प्रथम तीर्थंकर के श्रमण ऋजु जड़ अन्तिम तीर्थंकर के वक्र जड़ और मध्यवर्ती वाईस तीर्थकरो के भ्रमण ऋजु प्राज्ञ होते है । प्रथम तीर्थंकर के लिये मुनि के आचार को यथावत् ग्रहण करना कठिन है, अन्तिम तीर्थंकर के श्रमणों के लिये आचार का पालन करना' कठिन है और मध्यवर्ती तीर्थकरों के मुनि उसे यथावत् ग्रहण करते हैं, तथा सरलता से उसका पालन भी करते है । इस कारण यह प्ररूपणा - भेद हैं । यह सयुक्तिक उत्तर सुनकर केशी बहुत प्रसन्न हुए और वोले- साहु गोस ! पन्ना ते, छिन्नो मे ससओ इमो । अन्नो वि संसओ मज्नं तं मे कहसु गोयमा ॥ हे गोतम, तुम्हारी प्रज्ञा बहुत उत्तम है । तुमने मेरा यह संशय नष्ट कर दिया । मुझे एक और भी संशय है, उसे भी दूर करो। ऐसा कह कर केणी ने एक-एक करके अनेक प्रश्न गौतम के सम्मुख उपस्थित किये और गौतम ने सचका सयुक्तिक समुचित समाधान किया । जिसे सुनकर केशी वहुत प्रसन्न हुये और उन्होने गौतम का अभिवन्दन वरके सुखावह पंचयामरूप धर्म को स्वीकार कर लिया । प्रवचनमाता का और साधुत्व की चौवीसवा अध्ययन 'प्रवचन - माता' का है । इसमें वतलाया गया है कि अहिंसा की, सम्यग्दर्शन -ज्ञान - चारित्र स्वरूप रत्नत्रय धर्म रक्षा करने वाली पांच समिति और तीन गुप्ति माता के समान रक्षा करती है अतः इन्हें प्रवचन माता कहा जाता है । समिति का अर्थ है - सम्यक् प्रवर्तन | जीवों की रक्षा करने वाली अहिंसक एवं सावधान प्रवृत्ति को समिति कहते हैं । समितियां पांच होती है १ ईयसमिति - गमनागमन के समय जीव संरक्षण का विवेक । २ भाषा समिति बातचीत के समय अहिंसक वचनों का उपयोग । ३ एपणासमिति -- निर्दोष आहार पात्रादि का अन्वेषण | ४ आदानसमिति --- पुस्तक-पात्रादि के उठाने रखने मे सावधानी । ५. उत्सर्गसमिति -- मल-मूत्रादि के विसर्जन में सावधानी । इन पांच समितियों का पालन करनेवाला साधु जीवों से भरे हुए इस संसार में रहने पर भी पापों से लिप्त नही होता है ।
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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