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________________ स्तवनावली | श्वर० ॥ ४ ॥ श्याम मेघ सम पासजी निरखी, तम आनंद शिखी जिम हरखी । करतं शब्द मुख पास तुंही, यही रटना रट लइरे || श्री शंखेश्वर० ॥ ५ ॥ इति ॥ ५० स्तवन यार । ॥ राग पंजाबी ठेकानी ठुमरी ॥ मोरी वैयां तो पकर शंखेश स्याम, करुणा reat तोरे नैन स्याम || मोरी० ॥ चली ॥ तुम तो तार फणींद जग साचे, हमकुं वीसार न करुणा धाम || मोरी० ॥ १ ॥ जादवपति यरति तुम कापी, धारित जगत शंखेश नाम ॥ मोरी ० ॥ २ ॥ हम तो काल पंचम वस आये, तुमारो शरण जिनेश नाम || मोरी० ॥ ३ ॥ संयम तप करने शुद्ध शक्ति, न धरुं कर्म ऊकोर पाम ॥ मोरी ० ॥ ४ ॥ आनंद रसपूरण सुख देखी आनंद पूरण तमराम || मोरी० ॥ ५ ॥ स्तवन बारमुं । ॥ राग कालींगडो ॥ पास प्रभुरे तुम हम शिरके मोर || पास० ॥ टेक ॥ जो कोइ सिमरे शंखेश्वर प्रजुरे, मारेगा
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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