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________________ स्तवनावली। - NAMM .-JHAR स्तवन आग्मुं। ॥ राग ठुमरी ॥ जिन पास दरस कर मगन नये ॥ टेक ॥ चरन सरन प्रजु तुम रस राचे काटे करम कलंक गये ॥ जि० ॥१॥ तेरे नजनसें पाप पखारे, जनम मरन मुख पूर बये ॥ जि० ॥ ५॥ गिरि समेत प्रजु विजुवन मोहे, आतम रसमें मगन थये ॥ जि० ॥३॥ स्तवन नवमुं। ॥ राग भैरवी ॥ - लागी लगन कहो केसे बुटे। प्राणजीवन प्रनु प्यारेसें, ए देशी ॥ श्री शंखेश्वर निज गुनरंगी, प्राणजीवन प्रलु तारेरे श्री शंखेश्वर ॥ आंचली॥अश्वसेन वामाजीको नंदन, चंदन रस सम सारेरे ॥ अनीयाली तोरी अंबुज अखीयां, करुणा रसगरे तारेरे ॥ श्री शंखेश्वर॥१॥ नयन कचोले अमृत रोले, नविजन काज सुधारेरे ॥ नवि चकोर चित्त हरखे निरखी, चंद किरण समप्यारेरे ॥ श्री शंखेश्वर ॥२॥ तेरो ही नाम रटत हूं निशदिन, अन्य आलंवन गरेरे॥ शरण पड्ये को पार उतारे, ऐसो विरुद तिहारेरे ॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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