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________________ श्रीमद्विजयानंदसूरि कृत स्तवन बीजुं । ॥ राग ठुमरी ॥ चलो सजनी जिन बंदनको मधुवनमें पास निरंजनको ॥ च० ॥ टेक ॥ ५४ AN समेत शिखर पर प्रभुजी विराजे, दरशन पाप निकंदनको ॥ च० ॥ १ ॥ अश्वसेन नरपति के नंदा, दुर करो दुख बंधनको ॥ च० ॥ २ ॥ तमराम आनंद के दाता, बामा मात आनंदन को ॥ च० ॥ ३ ॥ स्तवन त्रीजुं । पारस नाथ जपत है जो जन, ए देशी ॥ पास जिनंद यानंदके दाता, तीन जवनमें मोह लियो || पा० ॥ टेक ॥ वामानंदन पाप निकंदन, तीन जवनमें नाम गयोरे ॥ पा० ॥ १ ॥ कमासूरको मंद हर लींनो, सात जनममें जयकार लियोरे पा० ॥ २ ॥ श्रतम समेत शिखर चल जाऊं, जनम मरन दुख दूर थोरे ॥ पा० ॥ ३ ॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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