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________________ चोविशी। २५३ कुल अचिरानंदन वंदन, कीजे नेहश्युरे के कीजे। शांतिनाथ मुख पूनिम, शशि परि जवश्युरे के । श॥१॥ कंचन वरणी काया, माया परिहरेरे के। माया। लाख वरष-बाउ, मृग लंबन धरेरे के। मृग। एक सहसश्युं व्रत ग्रहे,पातिक वन दहेरे के। पा । समेत शिखर शुज ध्यान थी, शिवपदवी लहेरे के । शिव ॥२॥ चालीश धनु तनु राजें, नाजे नय घणारे के। ना।बासठ सहस मुनीसर, विलसें प्रजुतणारे के । वि एकसठ सहस उसे वली, अधिकी साहुणीरे के । अ०। प्रनु परिवारनी संख्या, ए साची मुणीरे के ॥ ए० ॥३॥ गरुम यद निरवाणी,प्रनु सेवा करेरे के ॥०॥ ते जन बहु सुख पावशे, जे प्रजु चित्त धेरेरे के। जे । मद करता गाजे. तस घरि आंगणेरे के । त | तस जगहिमकर सम, जश कवियण मणेरे के ॥ ज० ॥ ४॥ देव गुणाकर चाकर, हुं हुं ताहरोरे के । हुं । नेह नजर नरि मुजरो, मानो माहोरे के । मा। तिहुश्रण नासन शासन, चित्त करुणा करोरे के । चि० | कवि जश विजय पयंपे, मुज नव दुख होरे के ॥ मु० ॥ ५ ॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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