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________________ २४८ श्रीयशोविजयोपाध्याय कृत वली वीशरे । साहुणी चरणगुण धारिणी, एह परिवार जगदीशरे ॥ सु० ॥ ४ ॥ अजित सुर वर सुतारा सुरी, नित करे प्रभुतणी सेवरे । श्रीनयविजय बुध शिष्यनें, चरण ए स्वामि चित्त जेवरे ॥ सु० ॥ ५ ॥ www श्री शीतलनाथ जिन स्तवन । ( कपूर होइ अति ऊजलं रे, ए देशी ) शीतल जिन नद्दिलपुरीरे, दृढरथ नंदा जात । नेनुं धनुष तनु उच्चताजी, सोवन वान विख्यातरे । निजी तुजश्युं मुज मन नेह, जिम चातकने मेहरे, तुंबे गुणमपि गेहरे ॥ जि० तु ॥ १ ॥ श्रीवत्स लंबन सोहतोजी, आयु पूरव लख एक । एक सहसश्युं व्रत लीयेंजी, आणी हृदय विवेकरे || जि० तु० ॥ २ ॥ समेत शिखर शुभ ध्यानथीजी, पाम्या परमानंद । एक लख षट साहुणीजी, एक लाख मुनि वृंदरे ॥ जि० तु० ॥ ३ ॥ सावधान ब्रह्मा सदाजी, शासन विधन हरे | देवी अशोका प्रभुतणीजी, अह निशि जगति करेइरे ॥ जि० ॥ तु० ॥ ४ ॥ परम पुरुष पुरुषोत्तमोजी, तूं नरसिंह निरीह | कवियण
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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