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________________ २३६ श्रीयशोविजयोपाध्याय कृत-- श्रीमुनिसुव्रत जिन स्तवन। ( वीरमाता प्रीतिकारिणी, ए देशी ) आज सफल दिन मुज तणो, मुनिसुव्रत दीग | नागी ते नाववि नवतणी, दिवस छरितना नीठा ॥ आ ॥ १ ॥ आंगणे कल्पवेली फली, घन अमियना वूग। आप माग्या ते पासा ढल्या, सुर समकित तूग ॥ आ ॥ ॥२॥ नियति हित दान सनमुख हुयें, स्वपुण्योदय साथे । जश कहे साहिब मुगतिर्नु, करिलं तिलक निज हाथे ॥ आ० ॥३॥ श्रीनमिनाथ जिन स्तवन । (ऋषभनो वंश रयणायरु, ए देशी ) मुज मन पंकज नमरले, श्रीनमिजिन जगदीशोरे । ध्यान करुं नित तुम्ह तणुं, नाम जपुं निशदिसोरे ॥ मु० ॥१॥ चित्तथकी कदियें न विसरे, देखीयें आगलि ध्यानिरे । अंतर तापथी जाणियें, दूर रह्यां अनुमानिरे ॥ मुण् ॥ ॥ तुं गति तुं मति आसरो, तुहिज बंधव मोटोरे । वाचक जश कहे तुज विना, अवर प्रपंच ते खोटोरे ॥ मुण् ॥ ३॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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