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________________ श्रीमदुदयरत्नजी कृत - श्री कुंथु जिन गीत | वाइ वारे अमरी वीण वाजे, मृदंग रणकेरे । ठमक पाय बिठुवा ठमके, नेरी नाकेरे ॥ वा० ॥ | १ || घम घम घम घुघरी घमके, जांजरी ऊमकेरे । नृत्य करती देवंगना जाणे, दामनी दमकेरे || वा० ॥२॥ दौ दौ किंदौ पुंडुनि बाजे, चूडी खलकेरे । फूदमी लेतां फूमती फरके, काल ऊबूकेरे || वा० ॥३॥ कुंथु आगे इम नाच नाचे, चालने चमकेरे । उदय प्रभु बोध बीज आपो, ढोल ढमकेरे ॥ वा० ॥ ४ ॥ हो २०० www || श्री रजिन गीत ॥ अरनाथ ताहरी आंखमीये मुज, कामण की - धुंरे । एक व्हेजामां मनमुं माहरु, हरि लीधुंरे ॥ ० ॥ १ ॥ तुज नयणे वय माहरे, अमृत पीधुंरे । जन्म जरानुं जोर जाग्युं, काज सीध्युंरे ॥ ० ॥ २ ॥ रगतिनां सरखे दुःखनुं हवे, द्वार दीधुंरे । उदयरत्न प्रभु शिव पंथनुं में, सबल लीधुंरे ॥ अ० ॥ ३ ॥ ,
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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