SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९७ चोविशी। श्रीशीतल जिन गीत। शीतल शीतलनाथ सेवो, गर्व गाली रे। नव दावानल नंजवाने, मेघमालीरे ॥ शी० ॥ १ ॥ आश्रव रुंधी एक बुद्धि, आसन वाली रे । ध्यान एहनुं मनमा धरो, लेश तालीरे ॥शी ॥२॥ कामने वाली क्रोधने टाली, रागने राली रे । उदय प्रजुनुं ध्यान धरंतां, नित दीवाली रे ॥ शी० ॥३॥ श्रीश्रेयांस जिन गीत। मूरति जोतां श्रेयांसनी महारूं, मनहुँ मो. धुरे । नावे नेटतां नवना दुखनु, खांपण खोयुरे॥ मू० ॥ १ ॥ नाथजी माहरी नेहनी नजरे, सामुं जोयुरे।महिर लहि माहाराजनी में तो, पाप धोयु रे ॥ मू॥२॥ शुभ समकित रूप शिवमुं, बीज बोयुरे। उदयरत्न प्रजु पामतां नाग्य, अधिक सोयुरे ॥ मू ॥३॥ श्रीवासुपूज्य जिन गीत । जूओ जूओरे जयानंद जोतां, हर्ष थयोरे। सुर गुरु पण पार न पामे, न जाय कटोरे ॥जू ॥ १ ॥ नव अटवीमां नमतां वहु, काल गयोरे।
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy